देवभाग n. (सो. क्रोष्टु.) शूर का पुत्र । कंस की भगिनी कंसा इसकी पत्नी थी । उसने इसे चित्रकेतु, बृहद्वल एवं उद्वव नामक तीन पुत्र हुएँ ।
देवभाग (श्रौतर्ष) n. एक यज्ञवेत्ता ऋषि । यह श्रुत का पुत्र था । यज्ञाशु के शरीर के विभिन्न भाग किन्हें बाँट देना चाहिये, इसका ज्ञान इसे हुआ था । मृत्यु के समय भी, इसने यह गूढज्ञान किसी को नहीं बताया । पश्चात् एक अमानवीय व्यक्ति ने यह ज्ञान बभ्रु के पुत्र गिरिज को बताया
[ऐ. ब्रा.७.१] । दाक्षायणयाग के कारण, सृंजय तथा कुरु राजाओं में स्नेहभाव उत्पन्न हुआ । उस समय उन दोनों का यह पुरोहित था
[श.ब्रा.२.४.४.५] । ‘तैत्तिरीय ब्राह्मण’ में सावित्र अग्नि के बारे में इसके मतों का उद्वरण दिया गया है
[तै. ब्रा.३.१०.९.११] । यज्ञ में इसके हाथों से गलती होने के कारण, सृंजयों का नाश हुआ । यह वासिष्ठ सातहव्य का समकालीन था
[तै. सं.६.६.२.२] ।