प्रवीर n. काशीनगर का एक चाण्डाल, जिसने राज हरिश्चन्द्र को खरीदा था । इसे वीरबाहु नामातर भी प्राप्त है ।
प्रवीर II. n. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो भागवत, विष्णु तथा भविष्य के अनुसार, प्राचिन्वत् राजा का पुत्र था । किन्तु महाभारत में इसे पूरु राजा पुत्र माना गया है । इसके दो भाइयों का नाम ईश्वर एवं रौद्राश्व था । पूरु राजा का ज्येष्ठ पुत्र जनमेजय किसी कारण राज्य के लिये अयोग्य साबित हुआ, जिससे उसे हटाकर प्रवीर को राजगद्दी पर बिठाया गया । पश्चात् इसीसे पूरुवंश आगे चला । इसी कारण महाभारत में इसे ‘वंशकृत’ (वंश को आगे चलानेवाला) कहा गया है
[म.आ.९०.४] । महाभारत में इसकी पत्नी का नाम शूरसेनी (श्येनी) एवं पुत्र का नाम मनस्यु (नमस्यु) बताया गया है
[म.आ.८९.४] । इसने तीन अश्वमेध यज्ञ एवं एक विश्वजित् यज्ञ किये थे । उन यज्ञों को संपन्न करने के उपरांत इसने वानप्रस्थ आश्रम ग्रहण किया
[म.आ.९०.११] ।
प्रवीर III. n. (सो.नील.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार हर्यश्व राजा का पुत्र था । इसे जवीनर नामांतर भी प्राप्त है (नवीनर देखिये) ।
प्रवीर IV. n. माहिष्मती के नीलध्वज राजा का पुत्र ।
प्रवीर V. n. पांडय देश का एक राजा, जिसे मलयध्वज एवं चित्रवाहन नामांतर प्राप्त है । इसकी कन्या का नाम चित्रांगदा था, जिससे इसने ‘पुत्रिकाधर्म’ के शर्त पर अर्जुन को प्रदान किया था । भारतीय युद्ध में अश्वत्थामा के साथ युद्ध करते समय यह मारा गया
[म.क.१५.४२] ।
प्रवीर VI. n. एक क्षत्रिय-क्कुल, जिसमें अजबिंदु नामक कुलांगार राजा उत्पन्न हुआ था
[म.उ,७२.१४] ।