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सुदेव

   { sudeva }
Script: Devanagari

सुदेव     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
SUDEVA I   A brahmin who was a favourite of the King of Vidarbha. It was this brahmin who was sent by the King of Vidarbha to search for Damayantī. (See under Damayantī).
SUDEVA II   A captain of the army of King Ambarīṣa. He was calm and fearless. Sudeva met with a heroic death in a battle and attained heaven. Indra gave him a suitable place. Later Ambarīṣa died and came to heaven. There he saw his captain Sudeva and was amazed. He asked Indra how it was that Sudeva was given a place in heaven. Indra replied that to fight fearlessly in the battle-field and meet with heroic death, was a yajña (sacrifice) and that due to this yajña Sudeva attained heaven. The King asked, when this took place. Indra continued:--“Once Ambarīṣa sent Sudeva to subdue the asuras and giants. Sudeva entered the battlefield and looked at the vast army of the enemy. Finding that it was impossible to defeat the army of giants, he sat down and meditated on Śiva, who appeared before him and encouraged him. A fierce battle followed in which Sudeva annihilated the army of the giants completely and he himself met with a heroic death. That is how he obtained heaven. [M.B. Dākṣiṇātyapāṭha, Śānti Parva, Chapter 98] .
SUDEVA III   The son of Haryaśva, the King of Kāśī. He was quite valiant and radiant. After the death of his father he was anointed as King of Kāśī. As soon as he became King, the sons of King Vītahavya attacked Sudeva and captured him. After this Divodāsa became the King of Kāśī. [M.B. Anuśāsana Parva, Chapter 30, Verse 13] .
SUDEVA IV   A famous King. Nābhāga married Suprabhā the daughter of this King Sudeva. The following is a story taken from Mārkaṇḍeya Purāṇa stating how this Sudeva who was a Kṣatriya by birth, became a Vaiśya by the curse of hermit Pramati. Once Nala, the friend of Sudeva, and the relative of Dhūmrākṣa, after having drunk too much liquor, tried to rape the wife of the hermit Pramati. All this happened while King Sudeva was standing silently near Nala. Pramati requested King Sudeva repeatedly to save his wife. Sudeva replied: ‘The Kṣatriya who could help the needy, could save your wife also. But I am a Vaiśya.” This arrogance of the King made the hermit angry. “May you become a Vaiśya.” The hermit cursed the King. Sudeva repented and requested for liberation from the curse. “When a Kṣatriya steals away your daughter you will recover the lost feelings of Kṣatriya.” The hermit gave this liberation from the curse. Because of this curse Nābhāga stole away Suprabhā the daughter of Sudeva and Sudeva got back the lost feelings of Kṣatriya.

सुदेव     

सुदेव n.  एक वैदिक यज्ञकर्ता [ऋ. ८.५.६]
सुदेव (काश्यप) n.  एक आचार्य। ब्रह्मचर्यव्रत का भंग होने पर किये जाने वाले प्रायश्चित्त का विधान इसके द्वारा बताया गया है [तै. आ. २.१८]
सुदेव II. n.  एक ब्राह्मण, जो विदर्भनरेश भीम के द्वारा दमयंती की खोज में नियुक्त किये गये ब्राह्मणों में से एक था [म. द्रो. ६५.६] । यह दमयंती के दम नायक भाई का मित्र था । इसने चेदिराज के महल में सैरन्ध्री नामक दासी के नाते रहनेवाले दमयंती को पहचान लिया [म. व. ६८.२] । पश्चात् इसके द्वारा ही दमयंती ने अयोध्यानरेश ऋतुपर्ण राजा को स्वयंवर का संदेश भेज दिया था ।
सुदेव III. n.  स्वारोचिष मन्वतर का एक देवगण ।
सुदेव IV. n.  (सू. इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार चंप राजा का पुत्र था । विष्णु एवं वायु में इसे चंचु राजा का पुत्र कहा गया है [वायु. ८८.१२०]
सुदेव IX. n.  (सो. कुकुर.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु, मत्स्य, वायु एवं पद्म के अनुसार देवक राजा का पुत्र था [भा. ९.२४.२२]
सुदेव V. n.  विदर्भ देश का एक राजा, जो राम दशरथि का समकालीन था । इसके पुत्रों के नाम श्र्वेत एवं सुरथ थे [वा. रा. उ. ७८.४]
सुदेव VI. n.  तुषित देवों में से एक ।
सुदेव VII. n.  (सो. काश्य.) एक राजा, जो काशिराज हर्यश्र्व का पुत्र था । यह देवता के समान तेजस्वी एवं न्यायप्रिय था । हैहय राजा वीतहव्य ने इसे परास्त कर इसे राज्यभ्रष्ट किया । पश्चात् इसके पुत्र दिवोदास ने अपने पुरोहित वसिष्ठ की मदद अपना राज्य पुनः प्राप्त कर दिया ।
सुदेव VIII. n.  अंबरीष का एक सेनापति, जो धर्मयुद्ध में मृत हुआ था । एक बार अंबरीष राजा की आज्ञा से यह राक्षसों के साथ लड़ने गया था, जहाँ वियम नामक राक्षस के द्वारा यह मारा गया । धर्मयुद्ध में मृत होने के कारण, अंबरीष राजा के पूर्व ही इसे स्वर्गलोक प्राप्त हुआ । विना यज्ञ-याग किये बगैर इसे स्वर्गप्राप्ति हुई, यह देख कर अंबरीष राजा को अत्यंत आश्र्चर्य हुआ, एवं इस संबंध में इसने इंद्र से पूछा । फिर इंद्र ने जवाब दिया ‘धर्मयुद्ध में मृत्यु प्राप्त होने का पुण्य यज्ञयागों के पुण्य से कहीं अधिक है’ [म. शां. ९९.१०-१३]
सुदेव X. n.  ०. एक वैश्य, जो सर्वस्वी अनाथ था । इसके मरने पर इसका अंत्य संस्कार करने के लिए कोई सम्बन्धी न था । इस कारण इसकी मृतात्मा बभ्रुवाहन राजा के पास सपने में गयी, एवं इसने उससे कार्तिक पौर्णिमा के दिन ‘वृषोत्सर्ग’ करने की प्रार्थना की [गरुड. २.९]
सुदेव XI. n.  १. एक राजा, जिसकी कन्या का नाम गौरी था । उसका विवाह करंधमपुत्र आविक्षित राजा से हुआ था [मार्क. ११९.१६]
सुदेव XII. n.  २. एक सुविख्यात राजा, जिसकी कन्या का नाम सुप्रभा था । सुविख्यात राजा नाभाग का यह श्र्वशुर था । यह राजा प्रारंभ में क्षत्रिय था, किन्तु कालोपरांत च्यवनपुत्र प्रमति ऋषि के शाप के कारण यह वैश्य बन गया । इस संबंध में सविस्तृत कथा मार्कंडॆय में प्राप्त है । एक बार धूम्राक्षबंधु नल नामक इसके मित्र ने शराब के नशें में प्रमति ऋषि की पत्‍नी पर बलात्कार करना चाहा । इस समय यह बाजूमें ही खड़ा रह कर, यह सारा पाशवी दृश्य देखता रहा। उस समय प्रमति ऋषि ने अपनी पत्‍नी का रक्षण करने के लिए इसकी बार बार प्रार्थना की । तब इसने बड़ी व्यंगोक्ति से जबाब दिया, ‘क्षतों की रक्षा करनेवाला एक क्षत्रिय ही केवल तुम्हारी पत्‍नी की रक्षा कर सकता है । मैं क्षत्रिय कहाँ? मैं तो वैश्य हूँ’। इसके इस औऋत्य से क्रुद्ध हो कर प्रमति ऋषि ने इसे तत्काल वैश्य होने का शाप दिया । पश्चात् इसके द्वारा उःशाप की प्रार्थना किये जाने पर प्रमति ऋषि ने इसे उःशाप दिया, ‘एक क्षत्रिय के द्वारा तुम्हारी कन्या का हरण किया जायेगा, जिस कारण अप्रत्यक्षतः तुम क्षत्रिय बनोगे’। प्रमति ऋषि के उःशाप के अनुसार इसकी कन्या सुप्रभा का नाभाग राजा ने हरण किया, एवं इस प्रकार यह पुनः क्षत्रिय बन गया [मार्क. १११-११२]
सुदेव XIII. n.  ३. एक ऋषि; जिसे मिलने के लिए राम अपने परिवार के साथ उपस्थित हुआ था [पद्म. पा. ११७]
सुदेव XIV. n.  ४. एक वैदिक यज्ञकर्ता [ऋ. ८.५.६]

सुदेव     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
See : भाग्यवान

सुदेव     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
सु—देव  m. m. a good or real god, [RV.] ; [ŚBr.]
ROOTS:
सु देव
दिव्   (accord. to some) ‘sporting well’, a potent or highly erotic lover (in this meaning fr. √ , ‘to play’, and opp. to वि-देव, ‘impotent, unerotic’), [RV. x, 95, 14] ; [AV. xx, 136, 12]
सु—देव  mfn. mfn. having the right gods, protected by them, [RV.] ; [TS.]
ROOTS:
सु देव
destined for the gods, [VS.] ; [TBr.]
सु—देव  m. m.N. of a काश्यप, [TĀr.]
ROOTS:
सु देव
of a Brāhman, [MBh.]
of a general of अम्बरीष, ib.
of a son of हर्य्-अश्व and king of काशि, ib.
of a king of विदर्भ, [R.]
of a son of अक्रूर, [Hariv.]
of a son of पौण्ड्रवासुदेव, ib.
of a son of चञ्चु, ib.
of a son of चम्प, [BhP.]
of a son of देवक, [VP.]
of a son of विष्णु, [BhP.]
of a poet, [Cat.]

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सुदेव   lucky   सुयम   देववत्   सुप्रभा   हर्यश्र्व   अंबरीष   संयम   काशी   माज   देवक   श्र्वेत   दिवोदास   गौरी   सुरथ   वीतहव्य   श्वेत   बभ्रुवाहन   प्रतर्दन   विजय   वसुदेव   नल   मनु   હિલાલ્ શુક્લ પક્ષની શરુના ત્રણ-ચાર દિવસનો મુખ્યત   ନବୀକରଣଯୋଗ୍ୟ ନୂଆ ବା   વાહિની લોકોનો એ સમૂહ જેની પાસે પ્રભાવી કાર્યો કરવાની શક્તિ કે   સર્જરી એ શાસ્ત્ર જેમાં શરીરના   ન્યાસલેખ તે પાત્ર કે કાગળ જેમાં કોઇ વસ્તુને   બખૂબી સારી રીતે:"તેણે પોતાની જવાબદારી   ਆੜਤੀ ਅਪੂਰਨ ਨੂੰ ਪੂਰਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ   బొప్పాయిచెట్టు. అది ఒక   लोरसोर जायै जाय फेंजानाय नङा एबा जाय गंग्लायथाव नङा:"सिकन्दरनि खाथियाव पोरसा गोरा जायो   आनाव सोरनिबा बिजिरनायाव बिनि बिमानि फिसाजो एबा मादै   भाजप भाजपाची मजुरी:"पसरकार रोटयांची भाजणी म्हूण धा रुपया मागता   नागरिकता कुनै स्थान   ३।। कोटी      ۔۔۔۔۔۔۔۔   ۔گوڑ سنکرمن      0      00   ૦૦   ୦୦   000   ০০০   ૦૦૦   ୦୦୦   00000   ০০০০০   0000000   00000000000   00000000000000000   000 பில்லியன்   000 மனித ஆண்டுகள்   1                  1/16 ರೂಪಾಯಿ   1/20   1/3   ૧।।   10   १०   ১০   ੧੦   ૧૦   ୧୦   ൧൦   100   ۱٠٠   १००   ১০০   ੧੦੦   ૧૦૦   ୧୦୦   1000   १०००   ১০০০   ੧੦੦੦   ૧૦૦૦   ୧୦୦୦   10000   १००००   ১০০০০   ੧੦੦੦੦   ૧૦૦૦૦   ୧୦୦୦୦   100000   ۱٠٠٠٠٠   १०००००   ১০০০০০   ੧੦੦੦੦੦   ૧૦૦૦૦૦   1000000   १००००००   
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