सुदेव n. एक वैदिक यज्ञकर्ता
[ऋ. ८.५.६] ।
सुदेव (काश्यप) n. एक आचार्य। ब्रह्मचर्यव्रत का भंग होने पर किये जाने वाले प्रायश्चित्त का विधान इसके द्वारा बताया गया है
[तै. आ. २.१८] ।
सुदेव II. n. एक ब्राह्मण, जो विदर्भनरेश भीम के द्वारा दमयंती की खोज में नियुक्त किये गये ब्राह्मणों में से एक था
[म. द्रो. ६५.६] । यह दमयंती के दम नायक भाई का मित्र था । इसने चेदिराज के महल में सैरन्ध्री नामक दासी के नाते रहनेवाले दमयंती को पहचान लिया
[म. व. ६८.२] । पश्चात् इसके द्वारा ही दमयंती ने अयोध्यानरेश ऋतुपर्ण राजा को स्वयंवर का संदेश भेज दिया था ।
सुदेव III. n. स्वारोचिष मन्वतर का एक देवगण ।
सुदेव IV. n. (सू. इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार चंप राजा का पुत्र था । विष्णु एवं वायु में इसे चंचु राजा का पुत्र कहा गया है
[वायु. ८८.१२०] ।
सुदेव IX. n. (सो. कुकुर.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु, मत्स्य, वायु एवं पद्म के अनुसार देवक राजा का पुत्र था
[भा. ९.२४.२२] ।
सुदेव V. n. विदर्भ देश का एक राजा, जो राम दशरथि का समकालीन था । इसके पुत्रों के नाम श्र्वेत एवं सुरथ थे
[वा. रा. उ. ७८.४] ।
सुदेव VI. n. तुषित देवों में से एक ।
सुदेव VII. n. (सो. काश्य.) एक राजा, जो काशिराज हर्यश्र्व का पुत्र था । यह देवता के समान तेजस्वी एवं न्यायप्रिय था । हैहय राजा वीतहव्य ने इसे परास्त कर इसे राज्यभ्रष्ट किया । पश्चात् इसके पुत्र दिवोदास ने अपने पुरोहित वसिष्ठ की मदद अपना राज्य पुनः प्राप्त कर दिया ।
सुदेव VIII. n. अंबरीष का एक सेनापति, जो धर्मयुद्ध में मृत हुआ था । एक बार अंबरीष राजा की आज्ञा से यह राक्षसों के साथ लड़ने गया था, जहाँ वियम नामक राक्षस के द्वारा यह मारा गया । धर्मयुद्ध में मृत होने के कारण, अंबरीष राजा के पूर्व ही इसे स्वर्गलोक प्राप्त हुआ । विना यज्ञ-याग किये बगैर इसे स्वर्गप्राप्ति हुई, यह देख कर अंबरीष राजा को अत्यंत आश्र्चर्य हुआ, एवं इस संबंध में इसने इंद्र से पूछा । फिर इंद्र ने जवाब दिया ‘धर्मयुद्ध में मृत्यु प्राप्त होने का पुण्य यज्ञयागों के पुण्य से कहीं अधिक है’
[म. शां. ९९.१०-१३] ।
सुदेव X. n. ०. एक वैश्य, जो सर्वस्वी अनाथ था । इसके मरने पर इसका अंत्य संस्कार करने के लिए कोई सम्बन्धी न था । इस कारण इसकी मृतात्मा बभ्रुवाहन राजा के पास सपने में गयी, एवं इसने उससे कार्तिक पौर्णिमा के दिन ‘वृषोत्सर्ग’ करने की प्रार्थना की
[गरुड. २.९] ।
सुदेव XI. n. १. एक राजा, जिसकी कन्या का नाम गौरी था । उसका विवाह करंधमपुत्र आविक्षित राजा से हुआ था
[मार्क. ११९.१६] ।
सुदेव XII. n. २. एक सुविख्यात राजा, जिसकी कन्या का नाम सुप्रभा था । सुविख्यात राजा नाभाग का यह श्र्वशुर था । यह राजा प्रारंभ में क्षत्रिय था, किन्तु कालोपरांत च्यवनपुत्र प्रमति ऋषि के शाप के कारण यह वैश्य बन गया । इस संबंध में सविस्तृत कथा मार्कंडॆय में प्राप्त है । एक बार धूम्राक्षबंधु नल नामक इसके मित्र ने शराब के नशें में प्रमति ऋषि की पत्नी पर बलात्कार करना चाहा । इस समय यह बाजूमें ही खड़ा रह कर, यह सारा पाशवी दृश्य देखता रहा। उस समय प्रमति ऋषि ने अपनी पत्नी का रक्षण करने के लिए इसकी बार बार प्रार्थना की । तब इसने बड़ी व्यंगोक्ति से जबाब दिया, ‘क्षतों की रक्षा करनेवाला एक क्षत्रिय ही केवल तुम्हारी पत्नी की रक्षा कर सकता है । मैं क्षत्रिय कहाँ? मैं तो वैश्य हूँ’। इसके इस औऋत्य से क्रुद्ध हो कर प्रमति ऋषि ने इसे तत्काल वैश्य होने का शाप दिया । पश्चात् इसके द्वारा उःशाप की प्रार्थना किये जाने पर प्रमति ऋषि ने इसे उःशाप दिया, ‘एक क्षत्रिय के द्वारा तुम्हारी कन्या का हरण किया जायेगा, जिस कारण अप्रत्यक्षतः तुम क्षत्रिय बनोगे’। प्रमति ऋषि के उःशाप के अनुसार इसकी कन्या सुप्रभा का नाभाग राजा ने हरण किया, एवं इस प्रकार यह पुनः क्षत्रिय बन गया
[मार्क. १११-११२] ।
सुदेव XIII. n. ३. एक ऋषि; जिसे मिलने के लिए राम अपने परिवार के साथ उपस्थित हुआ था
[पद्म. पा. ११७] ।
सुदेव XIV. n. ४. एक वैदिक यज्ञकर्ता
[ऋ. ८.५.६] ।