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अमरकोषः
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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अनेकार्थसङ्ग्रहः
अनेकार्थसङ्ग्रहो नाम कोशः आचार्यश्रीहेमचन्द्रेण विरचितः
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ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
ब्रह्मसूत्रम् अनुभाष्यम्
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आर्या-सप्तशती
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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बार्हस्पत्यानि नीतिसूत्राणि
`बार्हस्पत्यानि नीतिसूत्राणि' हा नितीशास्त्रासंबंधी एक अजोड ग्रंथ आहे.
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श्रीभक्तिचन्द्रिका
श्रीभक्तिचन्द्रिका
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भट्टिकाव्यं
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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भिक्षाटनकाव्यम्
उत्प्रेक्षावल्लभकविविरचितं भिक्षाटनकाव्यम् ।
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ब्रह्मसूत्राणि
ब्रह्मसूत्र, वेदान्त दर्शनचा एक अधारभूत ग्रन्थ आहे. ह्या ग्रंथाचे रचयिता बादरायण होत.
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बृहदारण्यकोपनिषद्भाष्यार्थ
सदर ग्रंथाचे लेखक विष्णुशास्त्री वामन बापट (जन्म: पाऊनवल्ली-राजापूर तालुका, रत्नागिरी जिल्हा, मे २२, इ.स. १८७१; मृत्यू : डिसेंबर २०, इ.स. १९३२) हे महाराष्ट्रातील एक शांकरमतानुयायी अद्वैती, प्राचीन संस्कृत वाङ्मयाचे भाषांतरकार आणि भाष्यकार होते.
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बृहद्देवता
बृहद्देवता संस्कृत भाषेतील छंदशास्त्र ह्या विषयातील शौनकऋषींनी रचलेला एक प्राचीन ग्रंथ आहे.
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चाणक्यनीतिदर्पणाः
आर्य चाणक्यने आपल्या नीतिशास्त्र या ग्रंथात आदर्श जीवन मूल्ये सविस्तर सांगितली आहेत.
Nitishastra is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's in depth study of the Indian way of life.
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चन्द्रालोकः
‘चंद्रलोक’ कवी जयदेव यांची एक सुमधुर रचना आहे.
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चमत्कारचन्द्रिका
श्रीहरिची माला आणि श्रीराधाचा मुक्ताहार यांची ही कथा आहे.
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे.This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
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श्रीशिवराजाभिषेकप्रयोग: ।
गागाभट्टकृत राजाभिषेकप्रयोग: ।
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केशवपण्डितकृतम् - दण्डनीतिः
केशवपण्डितकृतम् धर्मकल्पलनान्तर्गतनीतिमज्जर्यां दण्डनीतिप्रकरणम् ।
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दशकुमारचरितम् - पूर्वपीठिका
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - उत्तरपीठिका
दशकुमारचरित हे अत्यंत मधुर काव्य असून ते वाचल्याने अत्यंत समाधान मिळते.
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दशरूपकम्
'दशरूपकम्' नाट्यशास्त्रातील दशरूप लक्षण आणि त्यातील विशेषतांचे प्रतिपादन करणारा ग्रंथ आहे.
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धर्मसिंधु
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी हा ग्रंथ रचला आहे.This Grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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धर्मपदम्
धर्मपदम्
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ध्वन्यालोकः
ध्वन्यालोकः हा ग्रंथ श्रीराजानकानन्दवर्धनाचार्य: यांनी रचिलेला आहे.
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विद्यागणपतिवाञ्छाकल्पलता
हे स्तोत्र पठन केल्याने विद्या प्राप्त होते, म्हणून विद्यार्थ्यांकडून हे स्तोत्र पठन करून घ्यावे.
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गौतमीयधर्मशास्त्रेः
‘ गौतमीयधर्मशास्त्रेः ’ या ग्रंथात गौतमऋषींनी कथन केलेली धर्मसूत्रे आहेत.
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गीतगोविन्दम्
गीतगोविन्दम्
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श्रीमद्भगवद्गीतामाहात्म्यम्
श्रीमद्भगवद्गीतामाहात्म्यम्
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जानकीहरणम्
'जानकीहरणम्' ह्या महाकाव्याच्या रचयिताचे नाव 'कुमारदास' होते.
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काव्य
संस्कृत भाषेतील काव्य, महाकाव्य म्हणजे साहित्य विश्वातील मैलाचा दगड होय, काय आनंद मिळतो त्याचा रसास्वाद घेताना, स्वर्गसुखच.
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सारावली
श्रीमत्कल्याणवर्मविरचिता ।
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श्रीकृष्णकर्णामृतम्
’श्रीकृष्ण कर्णामृत’च्या वाचनातून श्रीकृष्णभक्ति अमृताप्रमाणे हे नरदेही आयुष्य अमर बनविते, शिवाय स्तोत्र पठणाचे पुण्य मिळते.
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काव्यमीमांसा
संस्कृत कवि राजशेखरद्वारा द्वारा रचित काव्यमीमांसा अलंकार शास्त्र पर लिखा गया एक विशालकाय ग्रंथ था, जिसमें मूलत: 18 अधिकरण थे। राजशेखर महाराष्ट्र देशवासी थे और यायावर वंश में उत्पन्न हुए थे।
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कृष्णभक्तिरत्नप्रकाशः
भगवान श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनके प्रेरणाओं व मार्गदर्शन से भरा हुआ है।
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क्रिया-कैरव-चन्द्रिका
श्री वराहगुरुणाविरचितायां क्रियाकैरवचन्द्रिकाः
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बृहत्कथामञ्जरी
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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कुमारसम्भवम्
महाकवि कालिदास रचित कुमारसंभव हे काव्य कार्तिकेयच्या जन्मासंबंधी असून, संस्कृत भाषेतील पाच महाकाव्यांपैकी एक आहे.
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श्रीमच्छङ्करदिग्विजय:
श्रीविद्यारण्यविरचित: श्रीमच्छङ्करदिग्विजय: ॥
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श्रीमच्छंकरदिग्विजयः ।
संस्कृत पुस्तकं।
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मालतीमाधवम्
एतद् भवभूतिना लिखितं कल्पनारम्यनाटकं वर्तते।
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मनोबोधः
संत रामदास महाराजांची मनोबोध अशी रचना आहे, ज्यातून मनावर संस्कार घडविले जातात.
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मनुस्मृतिः
मनुस्मृती हे धर्मशास्त्र आहे. वर्णधर्म, आश्रमधर्म, वर्णाश्रमधर्म, राजधर्म, व्यवहारनिर्णय, स्त्रीधर्म व पुरूषधर्म यांच्या या स्मृतीमध्ये व्याख्या सांगून त्यांची निष्कृती कोणत्या उपायांनी करावी हे सुचविले आहे.
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मयमतम्
The Mayamatam is a vastusastra. Mayamatam gives indications for the selections of a proper orientation, right dimensions, and appropriate materials.
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श्रीमयूरविरचिते - संस्कृतकाव्यानि
महाराष्ट्रकविवर्य श्रीमयूरविरचिते ग्रन्थ ‘ संस्कृतकाव्यानि ’
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मेघदूत
"मेघदूत" की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से ही रही है।
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नैष्कर्म्यसिद्धिः
श्रीज्ञानोत्तममिश्रविरचित नैष्कर्म्यसिद्धि ग्रंथ मनन करण्या योग्य आहे.
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नलोपाख्यानम्
` नलोपाख्यन ` ही नल आणि दमयंती यांची महाभारतातील एक सुरेख प्रेमकथा आहे.
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श्रीनारदपञ्चरात्रम्
‘श्रीनारदपञ्चरात्रम‘ हा ग्रंथ वाचल्याने सामान्यज्ञानात भर पडते.
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श्रीनारायणीयम्
श्री नारायणके दूसरे रूप भगवान् श्रीकृष्णकी इस ग्रंथमे स्तुति की गयी है ।
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चाणक्यनीतिदर्पणः
चाणक्यनीतिदर्पणः
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चाणक्य-सूत्राणि
नीतिवर्णनात्मक संस्कृत ग्रंथांमध्ये, चाणक्य-नीतिदर्पण ग्रंथाचे महत्वपूर्ण स्थान आहे. जीवन सुखमय आणि ध्येयपूर्ण बनविण्यासाठी, विविध विषयांचे वर्णन या ग्रंथात आहे. व्यवहार संबंधी सूत्रे तसेच राजनीति संबंधी श्लोकांचा यात समावेश आहे.
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नीतिशतकम्
'भर्तृहरि’कॄत नीतिशतक वाचल्याने नीतिमत्तेचे धडे मिळतात.
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नृसिंहाख्यान
' नृसिंहाख्यान 'चा पाठ केल्याने श्रीनृसिंहपुराण वाचल्याचे पुण्य मिळते, तसेच कीर्तनकारही या आख्यानावर कीर्तन करतात.
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श्रीपादुकासहस्रम्
श्रीमद्वेदान्तदेशिक विरचितम्
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सार्थपंचदश्याम्
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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पंचरत्नगीता
श्रीमद्भगवद्गीतामाहात्म्यम्
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पस्पषाह्निक
पस्पषाह्निक संस्कृतमधील एक दुर्मिळ ग्रंथ आहे.
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पतज्जलिचरितम् ।
भारतीय साहित्यात पतंजलिने लिहिलेले ३ मुख्य ग्रन्थ मिळतात - योगसूत्र, अष्टाध्यायी वर भाष्य आणि आयुर्वेदावर ग्रन्थ.
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प्रबोधसुधाकरः
भारतीय संस्कृतिच्या विकासात आद्य शंकराचार्यांचे विशेष योगदान आहे.
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कालिदास - रघुवंश
महाकवी कालिदासाने ’रघुवंश’ या महाकाव्यातील एकोणीस भागात राजा दिलीप, त्याचा पुत्र रघु, रघुचा पुत्र अज, अजचा पुत्र दशरथ, दशरथाचा पुत्र राम आणि त्याचे पुत्र लव आणि कुश यांचे चरित्र वर्णन केले आहे.
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रत्नावली
‘रत्नावली’ नाटकात हर्षाने प्राकृत भाषांपैकी शौरसेनीचा मुख्यत्वेंकरून उपयोग केला आहे.
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पाञ्चरात्रागमः
'पाञ्चरात्रागमः' एक उत्कृष्ट रचना.
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ऋतुसंहारः
कालिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। ’ऋतुसंहार’नामक काव्यमे ऋतु वर्णन अद्वितीय हैं और उनकी उपमाएं बेमिसाल है।
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साङ्ख्यकारिका
साङ्ख्यकारिका ग्रंथ ईश्वरकृष्ण यांनी लिहीलेला असून अतिशय चिंतन करण्याजोगा आहे.
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सारस्वत चम्पू
सारस्वत चम्पू
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सौंदर्यलहरी
आद्य शंकराचार्यांनी शिव आणि शक्ति उपासनेच्या विविध रूढ पद्धतीत स्वतंत्र अशा अध्यात्मप्रवण दृष्टीने ‘ सौंदर्यलहरी ‘ या स्तोत्राची रचना केलेली आहे शिवाय यातील प्रत्येक श्लोक मंत्रस्वरूप आहे.
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सौत्रामणी
पूर्व दिशाचे एक नाव ज्याचा स्वामी इंद्र आहे, त्याच्या प्रीत्यर्थ केला जाणारा एक प्रकारचा यज्ञ.
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व्यासशिक्षा
प्रस्तुत ग्रंथाचा रचनाकाल विभिन्न विद्वानांनी ईसवीसन पूर्व १००० ते ईसवीसन पूर्व ५०० सांगितलेला आहे.
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शिवानन्दलहरी
शिवानंदलहरी में भक्ति-तत्व की विवेचना, भक्त के लक्षण, उसकी अभिलाषायें और भक्तिमार्ग की कठिनाईयोंका अनुपम वर्णन है । `शिवानंदलहरी' श्रीआदिशंकराचार्य की रचना है ।
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शिवभारत
श्रीछत्रपती शिवाजी महाराज यांच्या आज्ञेवरून लिहिलेलें कवीन्द्र परमानन्दकृत ' श्रीशिवभारत '
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शिवधनुर्वेदः
शिवधनुर्वेदः
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शिवसंहिता
महायोगी आदिनाथ श्रीमहादेव विरचित " शिवसंहिता " हा ग्रंथ देवी पार्वतीने विचारलेले प्रश्न व त्या प्रश्नांना श्रीशिवांनी दिलेली उत्तरे या प्रश्नोत्तरांच्या रूपाने अवतरित झाला आहे.
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श्लोकवार्तिकभिधः
कुमारिल भट्ट हे आसामनिवासी ब्राह्मण होते. ते प्रथम बुद्ध होते पण नंतर त्यांनी धर्मपरिवर्तन करून हिन्दू धर्मात प्रवेश केला.
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शृंगारशतकम
’शृंगारशतकम्’काव्यात शॄंगाराचे महत्व संवादातून नीट वर्णन केले आहे.
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शुक्रनीतिः
प्रस्तुत नीति शुक्राचार्यांनी न लिहिता मूळ नीति भगवान् श्रीशंकरांनी लिहिली आहे.
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सिद्धसिद्धान्तपद्धतिः
सिद्धसिद्धान्तपद्धतिः हा ग्रंथ गोरक्षनाथांनी हठ योगावर लिहीला आहे.The Siddha Siddhanta Paddhati is a very early extant Hatha Yoga Sanskrit text attributed to Gorakshanath.
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श्रीसूक्तविधानम्
श्रीसूक्तविधानम्
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सुभाषितरत्नकोशः
विद्याकर (१०५०-११३०) एक बौद्ध विद्वान कवि होते. त्यांची कृति 'सुभाषितरत्नकोश' प्रसिद्ध आहे.
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सुप्रभेदागमः
सुप्रभेदागमः
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तर्कसंग्रह
’तर्कसंग्रह’ग्रंथातील आठ अध्यायातून तर्कशास्त्राचे अचूक ज्ञान मिळते.
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तत्त्वचिन्तामणी
तत्त्वचिन्तामणी शब्दाप्रामाण्यवादावरील एक असामान्य ग्रंथ आहे.
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तत्वमुक्ताकलापे
वेदान्त देशिक उर्फ वेंकटनाथ (१२६८-१३७०) हे वैष्णव गुरू, कवि, भक्त, दार्शनिक आणि आचार्य सुद्धां होते.
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रूपगोस्वामी - उज्ज्वलनीलमणिः
रूपगोस्वामी ह्या महान विद्वानाने रचलेला महान् ग्रंथ उज्ज्वलनीलमणिः होय.
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वैराग्यशतकम्
'वैराग्यशतकम्’ काव्यात कवी भर्तृहरिने आयुष्यातील वैराग्य जीवनाचे वर्णन केले आहे.
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वैशेषिकदर्शनम्
वैशेषिकदर्शनम् या ग्रंथाचे मूळ प्रवर्तक ऋषि कणाद होत. ई.पू. दुसर्या शतकात याची निर्मिती केली गेली.
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वेदान्त परिभाषा
धर्मराज अध्वरीन्द्र विरचित वेदान्त परिभाषा ग्रंथ वेद जाणून घेण्यासाठी उत्तम आहे.
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वेदान्तशास्त्रमकरन्दः
श्री १००८ श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्य-योगीन्द्रवर्य-श्रीआत्मानन्दसर स्वतीस्वामिभिंर्विरचितः ।
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सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः
' सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रहः' यात सर्व वेदांतील सार सोप्या भाषेत कथन केले असून, वेद वाचल्याचा आनंद मिळतो.
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वेणीसंहारः
भट्ट नारायण संस्कृत के महान नाटककार थे। वे अपनी केवल एक कृति वेणीसंहार के द्वारा संस्कृत साहित्य में अमर हैं।
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विवेकचूडामणीः
Vivekachudamani is a Adhyatmik grantha. It is Adhyatmik dialogue between an ardent seeker and his Guru,Shankaracharya.
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वृत्तरत्नाकर
वृत्तरत्नाकर, केदारभट्ट यांनी १४व्या शतकात लिहीलेले प्रसिद्ध साहित्य आहे. Vritta Ratnakara of Kedara Bhatta (14th Century CE) is one of the most popular texts on Sanskrit prosody.
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याज्ञवल्क्यस्मृतिः
चित्तशुद्धीनें विचाराची योग्यता येते आणि वेदान्तविचाराने संसारापासून मोक्ष होतो , हेच ठामपणे याज्ञवल्क्यस्मृतित सांगितले आहे .
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योगवासिष्ठम्
‘ योगवासिष्ठ ’ एक प्राचीन ग्रंथ.Yoga Vasistha is famous as one of the historically popular and influential texts of Hinduism.
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भल्लटशतकम्
भल्लटशतकम् हे काव्य संस्कृत कवी भल्लट याने लिहीले.
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काव्यप्रकाश
काव्यप्रकाश आचार्य मम्मट द्वारा रचित काव्य की परख कैसे की जाय इस विषय पर उदाहरण सहित लिखा गया एक विस्तृत एवं अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है।
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सांख्यकारिका
या ग्रंथाचे रचनाकार ईश्वरकृष्ण होत. या ग्रंथात त्यांनी सांगीतले आहे, त्यांना पंचाशिकाकडून, पंचाशिकाला आसुरीकडून आणि आसुरीला कपिलकडून हे ज्ञान मिळाले.
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श्रीपादसप्ततिः
श्रीनारायणभट्टपादविरचिता श्रीपादसप्ततिः
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ब्रह्मविदाशीर्वादः
श्रीमत्परमहंसपरिव्राजक श्रीविद्यारण्यस्वामिरचितः ब्रह्मविदाशीर्वादः
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कोकिलसन्देशः
उद्दण्डशास्त्रिविरचितः कोकिलसन्देशः
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परमार्थसारम्
श्रीमदादिशेषप्रणीतम् परमार्थसारम्
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परमार्थसारः
श्रीमदभिनवगुप्तप्रणीतम् परमार्थसारम्
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कुट्टनीमतम्
काश्मीर नरेश जयापीड (७७९ ई.-८१२) चे प्रधान मंत्री दामोदर गुप्त ह्यांनी 'कुट्टनीमतम्' नामक काव्याची रचना केली होती.
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