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पूजा एवं विधी
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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नित्यकर्म-विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - कर दर्शन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - प्रात:स्मरण
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - वेदोक्त प्रातःस्मरण सूक्त
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - स्नान की विधि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सन्ध्योपासन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - तर्पण विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सूर्योपस्थान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - समर्पण
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - नित्य होम विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - बलिवैश्वदेव विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - ब्रह्मयज्ञ विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - संक्षिप्त भोजन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - शिवपूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - विष्णु पूजन विधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - राम पूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - हनुमत्पूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - दुर्गापूजनविधि:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - श्रीविष्णुसहस्रनामस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - शिवमहिम्न: स्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - आदित्यहृदयस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - रामरक्षास्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - महामृत्युञ्जयस्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - अन्नपूर्णास्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - चाक्षुषोपनिषद्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सप्तश्लोकी दुर्गा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - सप्तश्लोकी गीता
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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विधीः - चतु:श्लोकीभागवतम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - प्रकार १
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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पूजा विधी - गुरु स्मरण तथा स्वस्तयन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - ध्यान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संकल्पम् तथा दिग्रक्षणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - शिखा बन्धनम्, भूत शुद्धि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - देवताओं के ध्यान
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - वरुण पूजा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दीप पूजनम् आदि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कलश स्थापनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पंचलोकपाल पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - षोडशमातृका पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सप्तधृतमातृका पूजनं
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - द्वादश विनायक पूजा
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - नवग्रह मण्डल पूजन
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संक्षिप्त पुन्याहवाचन प्रयोग:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - रक्षा विधानम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - आचार्यादि ऋत्विग्वरणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्रीशालग्राम पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पित्रीश्वर पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - संक्षिप्त नान्दी श्राद्ध
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - चतुःषष्टियोगिनी पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सर्वतोभद्र देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सतोरण द्वारपाल दिक्पाल पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - क्षेत्रपाल देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - शिवपूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पार्थिवलिङ्ग पूजने
सर्व जगतात हिंदू धर्माची व्याख्या होते ती , धर्मातील उपासना आणि उत्सवप्रियतेमुळे , आणि यांना जोड असते व्रत -वैकल्याची आणि धार्मिक पूजेची .
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पूजा विधी - अन्य देवता पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कीर्तिमुख पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - अष्टोत्तरशतनामभि: शिवार्चनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्री महालक्ष्मी पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्री महाकाली ( दावात ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सरस्वती ( बही खाता ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - कुबेर पूजनम् ( तिजोरी या बक्सा में )
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दीपमालिका ( दीपक ) पूजनम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधे - हवन कर्मपूजा ( होम )
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - अथ हवन विधि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - विविध होमः
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - दशदिक्पालानां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - चतु: षष्टि योगिनीनां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - पञ्चाशत्क्षेत्रपाल देवतानां होम:
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - स्विष्टकृ आहुतियाँ
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - क्षेत्रपाल बलि
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधे - पुरुष सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - श्रीसूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - सूर्य सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - रुद्र सूक्तम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - गायत्री मन्त्र
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी - प्रकार २
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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पूजा विधी
ईश्वर की कॄपा तथा दया प्राप्त करनेके लिए नित्य पूजा विधी करनी चाहिये, क्योंकी पूजा का अध्यात्म तथा धर्म से गहरा संबंध है ।
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संध्या विधी
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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तिलक धारण
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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पवित्रीधारण
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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जप-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्याका समय
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्यास्तुति
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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संध्योपासन-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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सूर्यार्घ्य-विधि
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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गायत्री ध्यान
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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मध्याह्न-संध्या
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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सायं-संध्या
रात या दिनमें जो भी अज्ञानवश विकर्म हो जायँ, वे त्रिकाल-संध्या करनेसे नष्ट हो जाते है।
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गर्भाधान संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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गर्भाधान - उचित काल
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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यज्ञ विधी
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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ईश्वरोपासना
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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गृहाश्रम संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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पुसंवन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सीमन्तोन्नयन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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जातकर्म संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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नामकरण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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निष्क्रमण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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अन्नप्राशन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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चूडाकरण संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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कर्णवेध संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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उपनयन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वेदारंभ संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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समावर्तन संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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विवाह संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वानप्रस्थ संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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अंत्येष्टि संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सोलह संस्कार
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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सामान्य संस्कार विधी
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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ईश्वरोपासना
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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यज्ञकुण्ड तथा द्रव्याहुति का प्रमाण
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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विवाह होम
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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मन्त्र पठण
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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वामदेव्य गान
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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स्थान तथा काल-मान
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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उपोद्घात
इस सृष्टि में उत्पन्न किसी वस्तु को, मनुष्य प्राणी भी, उत्तम स्थिती में लाने का वा करने का अर्थ ’संस्कार’ है।
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श्राद्धकर्म
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म स्कंदपुराणसे
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म - १
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म -२
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म -३
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म - ४
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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श्राद्धकर्म - ५
श्राद्ध ग्रहण करनेवाले नित्य पितर ही श्राद्धकर्ताओं को श्रेष्ठ वरदान देते हैं ।
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कौमारसंहितान्तर्गत - विद्यागणपतिरहस्यम्
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय १ ला
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय २ रा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ३ रा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ४ था
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ५ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ६ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विद्यागणपतिरहस्यम् - अध्याय ७ वा
प्रस्तुत पोथी म्हणजे गणेशप्राप्तीची इच्छा करणार्यांना अत्यंत आवश्यक असें पूजाविधान.
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विधी
All main Vidhis/ procedures that you perform.
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ऋग्वेदीय अन्त्येष्टि विधी
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अन्त्येष्टि विधी - अनुक्रमणिका
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अंत्येष्टिविधिसार
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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श्मशानयात्रा
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अग्नीचें पुनः संधान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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और्द्ध्वदेहिक विधि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अग्निप्रज्वलन ( अग्नि पेटविणें )
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तिलांजलि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पहिल्या दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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नवश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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नग्नप्रच्छादन व पाथेयश्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अस्थिसंचयन
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अस्थिसंचयन श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दुसर्या दिवसापासूनची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दहावे दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अकरावे दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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वृषोत्सर्ग
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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एकोद्दिष्ट श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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रुद्रगण श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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वसुगण श्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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सोळा मासिक श्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दश दानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अष्ट दानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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उपदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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प्रायश्चित्तधेनुदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पंचगोदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अश्वदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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शय्यादान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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भूमिदान
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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पददानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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बाराव्या दिवसाची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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दुसरे पाथेयश्राद्ध
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तेरावे दिवसांची क्रिया
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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तेरा श्रवणामान्नदानें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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उदकुंभश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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मासिकश्राद्धें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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प्रासंगिक कृत्यें
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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अंत्येष्टिविधींतील कृत्यांची यादी
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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लौकिक किंवा रूढीचे विधि
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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विविध धर्मांचे अंत्येष्टिविधीं
अंत्येष्टि म्हणजे शेवटचा होम.
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कर्म विधी
कर्म विधी - Vidhi by Karma
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श्राद्ध कर्म
श्राद्ध कर्म
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गणपती पूजा
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीच्या दिवशी मध्यान्हसमयी गणपतीपूजा करावी .
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पार्थिव गणपतीपूजा - पूजा
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थीच्या दिवशी मध्यान्हसमयी गणपतीपूजा करावी .
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गृहप्रवेश
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - गृहप्रवेश करण्यापूर्वी
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - पूजा प्रारंभ
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - गणपति पूजन
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - नवग्रह देवतांचे आवाहन
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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गृहप्रवेश - वरुण स्थापना
नवीन घर घेतल्यावर वास्तुशांत करावयाचे नसल्यास गृहप्रवेश विधी करून राहायला जाता येते.
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हरितालिका पूजा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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हरितालिका पूजा - पूजा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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हरितालिका व्रतकथा
सौभाग्यप्राप्ती , सौभाग्यवृद्धी , सुखसमृद्धी आणि ऐश्वर्य - वैभव - श्रीमंती यावी यासाठी भाद्रपद शु . ॥ तृतीयेला हे श्रीहरितालिका व्रत करावे .
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पूजा विधी
पूजा व कथाHindu Pooja Vidhis. The rituals that can be performed during worship of Hindu Gods, Godesses. This collection might contain some of the day specific rituals.
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लक्ष्मी सरस्वती पूजन
लक्ष्मी सरस्वती पूजन
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लक्ष्मी सरस्वती पूजन - पूजा
लक्ष्मी आणि विद्याप्राप्तिसाठी करावयाचे पूजन.
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मंगलागौरी पूजा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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मंगलागौरी पूजा - पूजा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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मंगलागौरी व्रतकथा
मंगलागौरी व्रत विवाह झालेल्या स्त्रियांनी पतीच्या आयुष्यवृद्धीसाठी पहिली पाच वर्षे श्रावण मासातील प्रत्येक मंगळवारी करावे .
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नवरात्र पूजा घटस्थापना
नवरात्र पूजा विधी : घटस्थापना
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माहात्म्य
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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अथ मानस पूजा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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विजयादशमी कथा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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देवी पूजा विधी
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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घटस्थापना
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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नवदुर्गा स्थापना
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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सायंकाळची पूजा
घटस्थापना किंवा नवरात्रोत्सव म्हणजे ब्रह्मांडातील आदिमायेची आश्विन महिन्यात नंदादीप तेवत ठेऊन मनोभावे पूजा करणे.
Navratri is a Hindu festival, during which nine days and nights, nine forms of Shakti i.e. female divinity are worshipped.
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