-
कारकून
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
घरातून चालते व्हायचे ! पण कोणी ?
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
आय. सी. एस.
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
नाटके
नाट्यछटा हा साहित्यप्रकार मराठीत प्रथम ‘ दिवाकर ‘ यांनीच आणला. त्यांचे संपूर्ण नांव - शंकर काशीनाथ गर्गे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत तुरुंगाच्या दारात
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सोन्याचा कळस
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत भूमिकन्या सीता
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत संत तुकाराम
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत द्रौपदी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सावित्री
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मेनका
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत महानंदा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत चित्रवंचना
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत उग्रमंगल
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत पुण्यप्रभाव
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत भावबंधन
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत एकच प्याला
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत राजसंन्यास
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत प्रेमसंन्यास
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत आत्मतेज
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत शहा शिवाजी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत आशा निराशा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत शिक्काकटयार
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत नेकजात मराठा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत पट वर्धन
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत तुलसीदास
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत वरवंचना
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत नंदकुमार
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सत्याग्रह
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सिंहाचा छावा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सौभाग्यलक्ष्मी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत साध्वी मिराबाई
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत राक्षसी महत्त्वाकांक्षा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत रणदुंदुभि
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत कृष्णार्जुन युद्ध
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत श्री
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सज्जन
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत युगांतर
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत संन्यस्तखड्ग
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत संत कान्होपात्रा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत विधिलिखित
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत अमृतसिद्धी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत उद्याचा संसार
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत लग्नाची बेडी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत वंदे भारतम्
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत जग काय म्हणेल ?
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत पाणिग्रहण
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत प्रीतिसंगम
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत अशी बायको हवी !
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत आंधळ्यांची शाळा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत ब्रह्मकुमारी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत आशीर्वाद
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत कुलवधू
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत अलंकार
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत वहिनी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत तुझं नी माझं जमेना
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत एक होता म्हातारा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत कोणे एके काळी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत देवमाणूस
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत अर्ध्या वाटेवर
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत देहूरोड
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत सुवर्णतुला
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत पंडितराज जगन्नाथ
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मंदारमाला
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मदनाची मंजिरी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत जयजय गौरीशंकर
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मेघमल्हार
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत स्वरसम्राज्ञी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत भक्त दामाजी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मत्स्यगंधा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मीरा मधुरा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत घनशाम नयनी आला
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत कटयार काळजात घुसली
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत ययाती देवयानी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत दुरिताचे तिमिर जावो
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत देव दीनाघरी धावला
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत वाहतो ही दुर्वांची जुडी
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत होनाजी बाळा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत धन्य ते गायनी कळा
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत रंगात रंगला श्रीरंग
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत हे बंध रेशमाचे
मराठी संगीत नाटक ही मराठी रंगभूमीला रामप्रहरी पडलेले एक सुखद स्वप्न होय.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दमयंती परित्याग - अंक पहिला
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश पहिला
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश दुसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश चवथा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दमयंती परित्याग - अंक दुसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश पहिला
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश दुसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दमयंती परित्याग - अंक तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश पहिला
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश दुसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश तिसरा
डॉ . पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत दमयंती परित्याग
डॉ. पद्माकर विष्णु वर्तक यांनी प्रस्तुत संगीत नाटकात नल दमयंतीची उत्कट प्रेमकथा अतिशय छान फुलवली आहे.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - अंक पहिला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश २ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश ३ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश ४ था
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - अंक दुसरा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश २ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश ३ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - अंक तिसरा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश २ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश ३ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश ४ था
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश ५ वा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - अंक चवथा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश २ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - अंक पाचवा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पाचवा - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पाचवा - प्रवेश २ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पाचवा - प्रवेश ३ रा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पाचवा - प्रवेश ४ था
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पाचवा - प्रवेश ५ वा
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक
एका इंग्रजी नाटकाच्या आधारानें कै. रा. रा. गोविंद बल्लाळ देवल यांनी हे नाटक रचिलें
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
दुर्गा नाटक - प्रस्तावना
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - अंक पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश चवथा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश पांचवा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - अंक दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - अंक तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश चवथा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - अंक चवथा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश चवथा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश पांचवा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - अंक पांचवा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पांचवा - प्रवेश पहिला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पांचवा - प्रवेश दुसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पांचवा - प्रवेश तिसरा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पांचवा - प्रवेश चवथा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पांचवा - प्रवेश पांचवा
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
राम गणॆश गडकरी - एकच प्याला
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
एकच प्याला - मंगलाचरण
मद्यपान व त्याचे दुष्परिणाम या ज्वलंत विषयावर असलेले हे नाटक गडकर्यांनी इ.स. १९१७ सालाच्या सुमारास लिहिले.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वेड्यांचा बाजार - अंक पहिला
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश पहिला
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश दुसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश तिसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - प्रवेश चवथा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वेड्यांचा बाजार - अंक दुसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश पहिला
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश दुसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश चवथा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश पांचवा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वेड्यांचा बाजार - अंक तिसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश पहिला
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश दुसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश तिसरा
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
वेड्यांचा बाजार
गडकर्यांची नाटके मराठी भाषेचे कायमचे अलंकार बनलेले आहेत, आपली नाटके वाङ्मयदृष्ट्या वरच्या दर्जाची व्हावी याची त्यांनी फार खबरदारी घेतली होती.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
नाटक
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मृच्छकटिक - अंक पहिला
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग १ ला
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग २ रा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ३ रा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ४ था
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ५ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ६ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ८ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ९ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग १० वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग ११ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग १२ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग १३ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक पहिला - भाग १४ वा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मृच्छकटिक - अंक दुसरा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश पहिला
गोविंद.बल्ल्लाळ.देवल,drama,govind.ballal.deval,marathi,mrucchakatik,नाटक,मृच्छ्कटिक,मराठी,साहित्य,
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश दुसरा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक दुसरा - प्रवेश तिसरा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मृच्छकटिक - अंक तिसरा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश १ ला
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक तिसरा - प्रवेश २ रा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मृच्छकटिक - अंक चवथा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr
-
अंक चवथा - प्रवेश १ ला
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: PAGE | Rank: 1 | Lang: mr
-
संगीत मृच्छकटिक - अंक पाचवा
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.
Type: INDEX | Rank: 1 | Lang: mr