हिंदी सूची|पूजा एवं विधी|नित्य कर्म पूजा|स्नान|स्नानांग-तर्पण| इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे । स्नानांग-तर्पण स्नानांग-तर्पण देव-तर्पण ऋषि-तर्पण पितृ-तर्पण इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे । तर्पणके बादका कृत्य इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे । इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे । Tags : devatadevipoojaदेवतादेवीपूजा इसके आगेका कृत्य जीवित-पितृक न करे Translation - भाषांतर ॐ अमुक गोत्रा अस्मत्पितृपितामहप्रपितामहास्तृप्यन्ताम् (३) ।ॐ अमुक गोत्रा अस्मन्मातृपितामहीप्रपितामह्यस्तृप्यन्ताम् (३) ।ॐ अमुक गोत्रा अस्मन्मतामहप्रमातामहवृध्दप्रमातामहा:सपत्नीकास्तृप्यन्ताम् (३) । ॐ ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं जगत्तृप्यताम् (३) ।इसके बाद तटके पास आकर जलमें स्थित होकर भूमिपर एक जलाञ्जलि दे, जिसका मन्त्र यह है -- अन्गिदग्धाश्च ये जीवा येऽप्यदग्धा: कुले मम ।भूमौ दत्तेन तोयेन तृप्ता यान्तु परां गतिम् ॥जलसे बाहर आकर निम्नलिखित मन्त्रसे दाहिनी ओर शिखाको पितृतीर्थ (अँगूठे और तर्जनेकी मध्यभाग ) से निचोड़े-- लतागुल्मेष वृक्षेषु पितरो ये व्यवस्थिता: ।ते सर्वे तृप्तिमायान्तु मयोत्सृष्टै: शिखोदकै:॥ N/A References : N/A Last Updated : November 25, 2018 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP