सूर्यके अर्चनके लिये विहित पत्र-पुष्प
भविष्यपुराणएमें बतलाया गया है कि सूर्यभगवानको यदि एक आकका फूल अर्पण कर दिया जाय तो सोनेकी दस अशर्फियाँ चढ़ानेका फल मिल जाता है । फूलोंका तारतम्य इस प्रकार बतलाया गया है --
हजार अड़हुलके फूलोंसे बढ़कर एक कनेरका फूल होता है, हजार कनेरके फूलोंसे बढ़कर एक बिल्वपत्र, हजार बिल्वपत्रोंसे बढ़कर एक 'पद्म' (सफेद रंगसे भिन्न रंगवाला), हजारों रंगीन पद्म-पुष्पोंसे बढ़कर एक मौलसिरी, हजारों मौलसिरियोंसे बढ़कर एक कुशका फूल, हजार कुशके फूलोसे बढ़कर एक शमीका फूल, हजार शमीके फूलोंसे बढ़कर एक नीलकमल, हजारों नील एवं रक्त कमलोंसे बढ़कर 'केसर और लाल कनेर' का फूल होता है ।
यदि इनके फूल न मिलें तो बदलेमें पत्ते चढ़ाये और पत्ते भी न मिलें तो इनके फल चढाये२ ।
फूलकी अपेक्षा मालामें दुगुना फल प्राप्त होता है ।
रातमें कदम्बके फूल और मुकुरको अर्पण करे और दिनमें शेष समस्त फूल । बेला दिनमें और रातमें भी चढ़ाना चाहिये ।
सूर्यभगवानपर चढ़ाने योग्य कुछ फूल ये हैं -- बेला, मालती, माधवी, पाटला, कनेत, जपा, यावन्ति, कुब्जक, कर्णिकार, पीली कटसरैया (कुरण्टक), चम्पा, रोलक, कुन्द, काली कटसरैया (वाण), अर्बरमल्लिका, अशोक, तिलक, लोध, अरुषा, कमल, मौलसिरी, अगस्त्य और पलाशके फूल तथा दूर्वा ।
कुछ समकक्ष पुष्प
शमीका फूल और बड़ी कटेरीका फूल एक समान माने जाते हैं । करवीरकी कोटिमें चमेली, मौलसिरी और पाटला आते हैं । श्र्वेत कमल और मन्दारकी श्रेणी एक है । इसी तरह नागकेसर, चम्पा, पुन्नाग और मुकुर एक समान माने जाते हैं ।
विहित पत्र
बेलका पत्र, शमीका पत्ता, भँगरैयाकी पत्ती, तमालपत्र, तुलसी और काली तुलसीके पत्ते तथा कमलके पत्ते सूर्यभगवान् की पूजामें गृहीत है ।