सोमवार की आरती

आरतीमे उस उपास्य देवताकी स्तुती की जाती है, जिसकी पूजा या व्रत किया जाता है ।


सोमवार की आरती

आरती करत जनक कर जोरे ।

बड़े भाग्य रामजी घर आए मोरे ॥

जीत स्वयंवर धनुष चढ़ाये ।

सब भूपन के गर्व मिटाए ॥

तोरि पिनाक किए दुई खण्डा ।

रघुकुल हर्ष रावण मन शंका ॥

आई है लिए संग सहेली ।

हरिष निरख वरमाला मेली ॥

गज मोतियन के चौक पुराए ।

कनक कलश भरि मंगल गाए ॥

कंचन थार कपुर की बाती ।

सुर नर मुनि जन आये बराती ॥

फिरत भांवरी बाजा बाजे ।

सिया सहित रघुबीर विराजे ॥

धनि-धनि राम लखन दोऊ भाई ।

धनि-धनि दशरथ कौशल्या माई ॥

राजा दशरथ जनक विदेही ।

भरत शत्रुघन परम सनेही ॥

मिथिलापुर में बजत बधाई ।

दास मुरारी स्वामी आरती गाई ॥

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Last Updated : January 11, 2008

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