हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|हितहरिवंश| तातें भैया, मेरी सौं, कृष... हितहरिवंश यह जु एक मन बहुत ठौर करि ... तातें भैया, मेरी सौं, कृष... मोहन लालके रँग राची । मे... रहौ कोउ काहू मनहि दिय... प्रीति न काहु कि कानि... भजन - तातें भैया, मेरी सौं, कृष... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanhitharivanshaभजनहितहरिवंश पद Translation - भाषांतर तातें भैया, मेरी सौं, कृष्ण-गुन-संचु । कुत्सित बाद बिकारहि परधन सुनु सिख परतिय बंचु । मनि गुन पुंज ब्रजपति छाँड़त हितहरिबंस सुकर गहि कंचु ॥१॥ पायो जानि जगतमें सब जन कपटी कुटिल कलिजुगी टंचु । इहि परलोक सकल सुख पावत, मेरी सौं, कृष्ण-गुन संचु ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : December 21, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP