भजन - बाबल कैसे बिसरो जाई ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बाबल कैसे बिसरो जाई ।

यदि मैं पति सँग रल खेलूँगी, आपा धरम समाई ॥टेक॥

सतगुरु मेरे किरपा कीनी, उत्तम बर परणाई ।

अब मेरे साईंको सरम पड़ैगी लेगा ह्रदय लगाई ॥

थे जानराय, मैं बाली-भोली, थे निरमल, मैं मैली ।

थे बतलाओ, मैं बोल न जानूँ, भेद न सकूँ सहेली ॥

थे ब्रह्मभाव, मैं आतप कन्या, समझ न जानूँ बानी ।

दरिया कहै परि पूरा पाया, यह निश्चै कर जानी ॥

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Last Updated : December 16, 2016

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