हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|गीत और कविता|सुमित्रानंदन पंत|ग्राम्या| पतझर ग्राम्या ग्राम नारी कठपुतले वे आँखें गाँव के लड़के वह बुड्ढा धोबियों का नृत्य ग्राम वधू ग्राम श्री नहान गंगा चमारों का नाच कहारों का रुद्र नृत्य कठपुतले चरखा गीत महात्माजी के प्रति राष्ट्र गान ग्राम देवता संध्या के बाद खिड़की से रेखाचित्र दिवा स्वप्न सौन्दर्य कला स्वीट पी के प्रति कला के प्रति आधुनिका मजदूरनी के प्रति नारी द्वन्द्व प्रणय १९४० सूत्रधर संस्कृति का प्रश्न सांस्कृतिक ह्रदय भारत ग्राम स्वप्न और सत्य बापू ! अहिंसा पतझर उद्बोधन नव इंद्रिय कवि किसान वाणी ! नक्षत्र आँगन से याद गुलदावदी विनय स्वप्न पट ! ग्राम कवि ग्राम ग्राम दृष्टि ग्राम चित्र ग्राम युवती पनघट पर स्त्री सुमित्रानंदन पंत - पतझर ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है। Tags : poemsumitranandan pantकवितासुमित्रानंदन पंत पतझर Translation - भाषांतर झरो, झरो, झरो ! जंगम जग प्रांगण मे, जीवन संघर्षण में, नव युग परिवर्तन में मन के पीले पत्तो ! झरो, झरो, झरो ! सन् सन् शिशिर समीरण देता क्रांति निमंत्रण ! यह जीवन विस्मृति क्षण,- जीर्ण जगत के पत्तो ! टरो, टरो, टरो ! कँप कर, उड़ कर, गिर कर, दब कर, पिस कर, चर् मर्, मिट्टी में मिल निर्भर, अमर बीज के पत्तो ! मरो, मरो, मरो ! तुम पतझर, तुम मधु, - जय ! पीले दल, नव किसलय, तुम्ही सृजन, वर्धन, लय, आवागमनी पत्तो ! सरो, सरो, सरो ! जाने से लगता भय? जग में रहना सुखमय? फिर आओगे निश्चय ! निज चिरत्व से पत्तो ! डरो, डरो, डरो ! जन्म मरण से होकर, जन्म मरण को खोकर, स्वप्नों में जग सोअक्र, मधु पतझर के पत्तो ! तरो, तरो तरो ! N/A References : कवी - श्री सुमित्रानंदन पंत फरवती' ४० Last Updated : October 11, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP