हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|गीत और कविता|सुमित्रानंदन पंत|ग्राम्या| ग्राम युवती ग्राम्या ग्राम नारी कठपुतले वे आँखें गाँव के लड़के वह बुड्ढा धोबियों का नृत्य ग्राम वधू ग्राम श्री नहान गंगा चमारों का नाच कहारों का रुद्र नृत्य कठपुतले चरखा गीत महात्माजी के प्रति राष्ट्र गान ग्राम देवता संध्या के बाद खिड़की से रेखाचित्र दिवा स्वप्न सौन्दर्य कला स्वीट पी के प्रति कला के प्रति आधुनिका मजदूरनी के प्रति नारी द्वन्द्व प्रणय १९४० सूत्रधर संस्कृति का प्रश्न सांस्कृतिक ह्रदय भारत ग्राम स्वप्न और सत्य बापू ! अहिंसा पतझर उद्बोधन नव इंद्रिय कवि किसान वाणी ! नक्षत्र आँगन से याद गुलदावदी विनय स्वप्न पट ! ग्राम कवि ग्राम ग्राम दृष्टि ग्राम चित्र ग्राम युवती पनघट पर स्त्री सुमित्रानंदन पंत - ग्राम युवती ग्रामीण लोगोंके प्रति बौद्धिक सहानुभूती से ओतप्रोत कविताये इस संग्रह मे लिखी गयी है। ग्रामों की वर्तमान दशा प्रतिक्रियात्मक साहित्य को जन्म देती है। Tags : poemsumitranandan pantकवितासुमित्रानंदन पंत ग्राम युवती Translation - भाषांतर उन्मद यौवन से उभर घटा सी नव असाढ़ की सुन्दर अति श्याम वरण, श्लथ, मंद चरण, इठलाती आती ग्राम युवति वह गजगति सर्प डगर पर !सरकती पट, खिसकाती लट, -शरमाती झट वह नमित दृष्टि से देख उरोजों के युग घट !हँसती खलखल अबला चंचल ज्यों फूट पड़ा हो स्रोत सरलभर फेनोज्ज्वल दशनों से अधरों के तट !वह मग में रुक, मानो कुछ झुक, आँचल सँभालती, फेर नयन मुख, पा प्रिय पद की आहट;आ ग्राम युवक, प्रेमी याचक जब उसे ताकता है इकटक, उल्लसित, चकित, वह लेती मूँद पलक पट ! N/A References : कवी - सुमित्रानंदन पंत Last Updated : October 11, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP