हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|गीत और कविता|सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’|परिमल| बादल राग ५ परिमल प्रेयसी मित्र के प्रति बादल राग १ बादल राग २ बादल राग ३ बादल राग ४ बादल राग ५ बादल राग ६ सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला’ - बादल राग ५ सूर्यकांत त्रिपाठी की रचनाये मनको छू लेती है। Tags : niralapoemsuryakant tripathiकाव्यनिरालासूर्यकांत त्रिपाठी भाग ५ Translation - भाषांतर निरंजन बने नयन अंजन !कभी चपल गति, अस्थिर मति,जल-कलकल तरल प्रवाह,वह उत्थान-पतन-हत अविरतसंसृति-गत उत्साह,कभी दुख -दाहकभी जलनिधि-जल विपुल अथाह--कभी क्रीड़ारत सात प्रभंजन--बने नयन-अंजन !कभी किरण-कर पकड़-पकड़करचढ़ते हो तुम मुक्त गगन पर,झलमल ज्योति अयुत-कर-किंकर, सीस झुकाते तुम्हे तिमिरहर--अहे कार्य से गत कारण पर !निराकार, हैं तीनों मिले भुवन--बने नयन-अंजन !आज श्याम-घन श्याम छविमुक्त-कण्ठ है तुम्हे देख कवि,अहो कुसुम-कोमल कठोर-पवि !शत-सहस्र-नक्षत्र-चन्द्र रवि संस्तुतनयन मनोरंजन !बने नयन अंजन ! N/A References : N/A Last Updated : February 16, 2008 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP