चण्डिकानवमी -
यह व्रत वैशाखके दोनों पक्षोंमे नवमीको किया जाता है । उस दिन प्रातःस्त्रानके पश्चात् लाल धोती पहनकर सुगन्धयुक्त पुष्पादिसे चण्डिका देवीका पूजन करे और पुष्पाञ्जलि अर्पण कर उपवास रखे । इस व्रतका सविधि अनुष्ठान करनेवाला मनुष्य हंस, कुन्द और चन्द्रमाके समान गौरवर्ण एवं ध्रुवके समान तेजस्वी दिव्य स्वरुप धारणकर उत्तम विमानपर आरुढ़ हो देवलोकमें आदर पाता है ।
हंसकुन्देन्दुसंकाशस्तेजसा ध्रुवसंनिभः ।
विमानवरमारुढो देवलोके महीयते ॥ ( निर्णयामृते भविष्योत्तरे )