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दंडी
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 7.418235 | Lang: NA
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दशकुमारचरितम् - द्वितीयोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - तृतीयोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - पञ्चमोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - पूर्वपीठिका
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - चतुर्थोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दशकुमारचरितम् - प्रथमोच्छ्वासः
दशकुमारचरित एक गद्यकाव्य असून त्याचे कवी आहेत, दंडी.
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दण्डी
Meanings: 7; in Dictionaries: 3
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دنٛڈی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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उलटा चोर कोतवालाला दंडी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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उलटा चोर, कोतवालास दंडी
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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দণ্ডী
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ଦଣ୍ଡୀ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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દંડી
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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دنڈی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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دٔنٛڈی
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ਦੰਡੀ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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தண்டி
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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జైనబిక్షువు
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ദണ്ഡിസന്യാസി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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न्याय नाहीं गांवाला, चोर दंडी सावाला
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ಸನ್ಯಾಸಿ
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
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दडची
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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चोर उठून कोतवालाक धरता
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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डंकि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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काव्यादर्श
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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उफराटा न्याय
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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दडी
Meanings: 11; in Dictionaries: 5
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भारूड - वासुदेव
श्री समर्थांनी दासबोध ग्रंथासोबतच गाथा आणि भारुडे रचून इतिहास घडविला आहे.
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श्री सत्यनारायण भगवान की कथा - चतुर्थ अध्याय
सत्यनारायण व्रतके प्रभावसे मनुष्योंकी आत्मा शुद्ध होती है ।
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वेळा
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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श्रीकेशवस्वामी - भाग ३०
केशवस्वामींनी मनोभावेंकरून आपल्या कार्यातून हिंदू जनतेस त्यांच्या ठिकाणी आपला धर्म, आपला देश, आपली संस्कृती, आपली भाषा इत्यादिकांसंबंधी जागॄत केले.
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एकादशीचे अभंग
एकादशीचे अभंग
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उपनयन मंगलाष्टकम्
‘ संस्कार ’ हे केवळ रूढी म्हणून करण्यापेक्षां त्यांचे हेतू जाणून ते व्हावेत अशी अनेकांची इच्छा असते. ज्यावेळीं एखाद्या घरांमध्यें शुभकार्य असते त्यावेळीं या गोष्टी सविस्तर माहीत असल्यास कार्य सुव्यवस्थित पार पडते असा अनुभव आहे.
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निस्तेज
Meanings: 9; in Dictionaries: 7
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उपदेश - वेषधार्यांस उपदेश ३२
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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कोतवाल
Meanings: 10; in Dictionaries: 6
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लावणी ५० वी - निखळ वेड लागलें, तुंसाठी ...
लावणी म्हणजे गीत, नृत्य आणि अदाकारी यांचा त्रिवेणी संगम. लावणी शृंगाराची खाण आणि महाराष्ट्राची शान आहे.
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लावणी - पहिल्या हो नहाणाची । हळु ...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
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निरंजन माधव - श्रीनारायणाष्टकं
निरंजन माधवांच्या कवितेत काव्यस्फूर्ति उच्च दर्ज्याची असून भाषेत सरळपणा व प्रसाद सोज्वळ आहे.
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घरधनी - संग्रह १०
स्त्रीसुलभ लज्जा व पतिबद्दलचा आदर यामुळे हि सुंदर गीते कोणी उघड उघड गात नाही. एकांतात बसून प्रिय पतीबद्दलची मधुर गीते तरूण पत्नी जेव्हा गुणगुणते तेव्हा भावसुंदर ओव्या जन्माला येतात.
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निरंजन माधव - श्रीनारायणाष्टकं
निरंजन माधवांच्या कवितेत काव्यस्फूर्ति उच्च दर्ज्याची असून भाषेत सरळपणा व प्रसाद सोज्वळ आहे.
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बृहज्जातक - अध्याय १५
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.
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श्रीजनार्दनस्वामींचे ताटीचें अभंग - ७
श्रीजनार्दस्वामींचे ताटीच्या अभंगांचे पारायण करणे म्हणजे एक स्वर्गीय अनुभूती आहे.
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श्रीमद् ब्रह्मानंद स्वामी महाराज
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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अध्याय ५१ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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मानसगीत सरोवर - चला सख्यांनो , करविर क्षे...
भगवंताच्या लीला, त्याचे स्वरूप, अवतारकृत्ये व प्रत्येक अवतारातील अनेकविध प्रसंग, यावर आधारीत भजनांचा संग्रह, म्हणजेच मानसगीत सरोवर.
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सौन्दर्याची परीक्षा व स्वभावपरीक्षा
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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वारांची गीते - शनिवार
समर्थ रामदास स्वामींचा जन्म औरंगाबाद जिल्ह्यात सन १६०८, शके १५३० रोजी झाला.
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फ़लादेशासंबंधाने मतभेद
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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