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तंत्र शास्त्र
तन्त्र शास्त्र में अनेकों शक्तियों की उपासना और साधना का रहस्य बतलाया गया है ।
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शल्य शास्त्र
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शास्त्र
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ज्योतिष शास्त्र
भारतके महान, बुद्धिमान ऋषीमुनीयोंने, सृष्टीमे जो भी चमत्कार होते है, वह जाननेकी जिज्ञासा तृप्त करनेके लिये, समस्त मानवजातीको नानाविध शास्त्रोंके जन्म दिया, उसीमे से एक है, ज्योतिषशास्त्र ।
Jyotisha or Horoscope is a prediction of someone's future based on the relative positions of the planets
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ज्योतिष शास्त्र
सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.
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वैद्यक शास्त्र
भारतीय शास्त्रांमध्ये वैद्यक शास्त्राने फार प्राचीन काळापासून प्रगती केलेली आहे, त्यापैकी चरक आणि सुश्रुत यांनी सर्व जगाला आरोग्यविषयक ज्ञान दिले.
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राजनीति शास्त्र
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शास्त्र विरुद्ध
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ज्योतिष शास्त्र
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चिकित्सा शास्त्र
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शल्यचिकित्सा शास्त्र
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शल्य चिकित्सा शास्त्र
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भजन - शास्त्र न पढले तप ना आचार...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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गुरूची आरती - वेदां शास्त्र आणि अठरा पु...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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श्री कल्याण स्तवन - मुकें शास्त्र पौराण वेदास...
रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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अध्यापन शास्त्र
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निदान शास्त्र
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वनस्पति शास्त्र
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दर्शन शास्त्र
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गणित शास्त्र
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हवामान शास्त्र
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शिल्प शास्त्र
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बायकांचें शास्त्र
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मापन शास्त्र
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आवडतें शास्त्र
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योग शास्त्रः
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
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पातञ्जल योग सूत्राणि
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
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योगरहस्य
योग शास्त्र ऋषी मुनींनी जगाला शिकविले.
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मंत्रशास्त्र - पंचदशी विद्या
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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पंचदशी विद्या - पंचदशी विद्या विचार
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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पंचदशी विद्या - पंचदशीयंत्राचा विधि
गुरूपदिष्ट मार्गाशिवाय मंत्रांचे अनुष्टान करू नये , कारण मंत्रशास्त्र हे अनुभवदर्शी शास्त्र आहे .
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मंत्रशास्त्र
देवताओं की उपासना करनेवालोंको सारी सिद्धियाँ प्राप्त करनेके लिये मंत्र शास्त्र का उगम हुआ है।
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तंत्र शास्त्रः
तन्त्र शास्त्र में अनेकों शक्तियों की उपासना और साधना का रहस्य बतलाया गया है ।
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मापिकी
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मंगलाचरण आणि महत्व
ज्योतिष हा विषय वेदांइतकाच प्राचीन आहे.
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हठयोगप्रदीपिका - प्रथमोपदेशः
प्रस्तुत ग्रंथात हठ योगासंबंधी विस्तृत माहिती देण्यात आलेली आहे.
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सापिंडयनिर्णय
ज्योतिष , astrology,शास्त्र , horoscope,विवाह, marraige
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मनोबोधाची आरती - वेदांचे जें गुह्य शास्त्र...
मनोबोधाची आरती
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दत्तात्रेय योग शास्त्र - नृसिंहरूपिणे चिदात्मने सु...
देवी देवतांची स्तुती करताना म्हणावयाच्या रचना म्हणजेच स्तोत्रे. स्तोत्रे स्तुतीपर असल्याने, त्यांना कोणतेही वैदिक नियम नाहीत. स्तोत्रांचे पठण केल्याने इच्छित फल प्राप्त होते. In Hinduism, a Stotra is a hymn of praise, that praise aspects of Devi and Devtas. Stotras are invariably uttered aloud and consist of chanting verses conveying the glory and attributes of God.
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कामाख्या तंत्र
तन्त्र शास्त्र में अनेकों शक्तियों की उपासना और साधना का रहस्य बतलाया गया है ।
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कामाख्या तन्त्र
तन्त्र शास्त्र में अनेकों शक्तियों की उपासना और साधना का रहस्य बतलाया गया है ।
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शिव तंत्र - रावण शिव संवाद
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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प्रारंभिकावस्था - गुरु शिष्य संबंध
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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संक्षिप्त विवरण - वैदिक एवं तान्त्रिक साधना
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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संक्षिप्त विवरण - उन्मेष एवं निमेषावस्था
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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संक्षिप्त विवरण - रुद्रयामलगत स्वरयोग
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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प्रारंभिकावस्था - आरंभ
भगवान शिव ने लंकापती रावण को जो तंत्रज्ञान दिया , उसमेंसे ये साधनाएं शीघ्र सिद्धि प्रदान करने वाली है ।
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संक्षिप्त विवरण - स्वर-विज्ञान
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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सत्ताइसवाँ पटल - समाधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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षष्ठ पटल - भावविद्याविधि
रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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