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बालगीत - सारखा चाले उद्धार - पोर...
निळ्या आभाळवाटांनी पंख पसरुन एकेकटयाने किंवा थव्यांनी उडणारे पक्षी पाहताना मुलांच्या मनात येते, ’आपणही असे पंख पसरुन वार्यावर स्वार व्हावे.’
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सुधीर
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
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अध्ययनकक्ष
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अध्ययन कक्ष
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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अभ्यासिका
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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तिपायी
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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बालगीत - एक झोका चुके काळजाचा ठो...
बालगीत हे लहान मुलांचे शब्दभांडार समृद्ध करण्यासाठी रचलेले गद्य अथवा पद्यात्मक काव्य होय.
Balgeet is a traditional or composed song or poem taught to children for development of vocabulary.
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भजन - जय जय श्रीकृष्णचन्द्र नंद...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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स्त्रीगीत - पाळणा मुलाचा
मराठीतील स्त्रीगीतांना मातीचा वास आहे, कुळाचे ओज आहे, कारुण्याची चाल आहे, सुगरणीचा साज आहे आणि घरंदाज घरमालकिणीचा साटोपही आहे.
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बालगीत - रुसु बाई रुसु कोपर्यात ब...
बालगीत हे लहान मुलांचे शब्दभांडार समृद्ध करण्यासाठी रचलेले गद्य अथवा पद्यात्मक काव्य होय.
Balgeet is a traditional or composed song or poem taught to children for development of vocabulary.
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गज्जलाञ्जलि - नमोऽस्तु ते ! जयोऽस्तु ते...
डॉ. माधव त्रिंबक पटवर्धन ऊर्फ माधव जूलियन, (जन्म २१ जानेवारी १८९४; मृत्यु २९ नोव्हेंबर १९३९) हे मराठी भाषेतील प्रतिथयश कवी होऊन गेले.
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राणा प्रताप - स्वातंत्र्यसूर्य राणा। चि...
साने गुरूजींचे संपूर्ण नाव - पांडुरंग सदाशिव साने
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वेदस्तुति - श्लोक ३२
' हरिवरदा ’ ग्रंथातील वेदस्तुती भागाची ही रसाळ प्राकृत भाषेत स्वामी श्रीकृष्णदयार्णव स्वामींनी लिहीलेली टीका आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक ११ ते २०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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दासोपंताची पदे - पद १२६१ ते १२८०
दासोपंतांच्या वंशजांचीं घराणीं हल्लीं जोगाईच्या आंब्यास व नागपुरप्रांतीं चंद्रपुराकडे नांदत आहेत. ॐ श्रीमदादिगुरवे सर्वज्ञाय स्वपक्षपालाय नमः ॥
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अयोध्या काण्ड - दोहा १४१ से १५०
गोस्वामी तुलसीदास जीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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अध्याय ८७ वा - श्लोक ३१ ते ३३
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ४९ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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अध्याय ११ वा - श्लोक ६ ते १०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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श्री किसनगिरी विजय - अध्याय बारावा
देवगडचे श्री किसनगिरी महाराज यांचा जन्म सन १९०७ साली झाला आणि त्यांनी १९८३ साली समाधी घेतली.
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अध्याय १० वा - श्लोक ११ ते २०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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वनपर्व - अध्याय तेरावा
मोरेश्वर रामजी पराडकर (१७२९–१७९४), हे महाराष्ट्रात मोरोपंत अथवा मयूर पंडित नावाने ओळखले जातात.
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श्री दासोपंत
दत्त संप्रदायातील सत्पुरूष
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