-
सौभरी चरित्र
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
Type: PAGE | Rank: 12.8784 | Lang: NA
-
सौभरी
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 3.199141 | Lang: NA
-
सौभरी रुशी
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.302789 | Lang: NA
-
सौभरि
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.7251074 | Lang: NA
-
सौभरिः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6836379 | Lang: NA
-
সৌভরি
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6836379 | Lang: NA
-
ସୌଭରି ଋଷି
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6836379 | Lang: NA
-
સૌભરિ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.5127284 | Lang: NA
-
ਸੌਭਰ
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.5127284 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक २४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.02022178 | Lang: NA
-
एकनाथी भागवत - श्लोक २४ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.02022178 | Lang: NA
-
ठाकुर प्रसाद - नवम स्कन्ध सूची
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
Type: PAGE | Rank: 0.02022178 | Lang: NA
-
मल्हारी मार्तंड विजय - अध्याय विसावा
श्री माणिकप्रभु विरचित श्री मल्हारी मार्तंड विजय.
Type: PAGE | Rank: 0.02022178 | Lang: NA
-
क्रीडा खंड - अध्याय १३४ - १३५
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
Type: PAGE | Rank: 0.02022178 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ४ - अध्याय ४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01072422 | Lang: NA
-
श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय ३१
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.008847031 | Lang: NA
-
मूळस्तंभ - अध्याय १३
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006319308 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ३ - अध्याय ३
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006319308 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय ११
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.005055446 | Lang: NA
-
पांडवप्रताप - अध्याय ५९ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
Type: PAGE | Rank: 0.005055446 | Lang: NA