कुत्स n. रुरु नामक राजर्षि का पुत्र । कमजोर होने के कारण सहायता के लिये इसने इन्द्र की आराधना की । इन्द्र ने आकर इस के शत्रुओं का वध किया । तदनंतर उसकी तथा कुत्स की मित्रता हो गयी । एक बार जब इन्द्र कुत्स के पास बैठा था, तब शची वहॉं आई । इनमें से इन्द्र कौनसा है, यह शची पहचान न सकी
[ऋ.४.१६.१० सायणभाष्य] । इसे आर्जुनेय कहा है । इससे पता चलता है कि, यह अर्जुनी नामक स्त्री का पुत्र होगा
[ऋ.१.११२.२३,४.२६.१,७.१९.२,८.१.११०] । यह एक योद्धा था । इसको अपने काबू में लेकर इन्द्र ने वेतसोन का कल्याण किया
[ऋ.१०.४९.४] । इन्द्र ने इस के लिए शुष्ण का लोहे के चक्र से वध किया
[ऋ. १.६३.३,१२१.९, १७५.४] इन्द्र ने इसके लिये सूर्यरथ के पहिया की चोरी की अथवा उसे तोड दिया । इस तरह की अस्पष्ट कथा ऋग्वेद में दी गयी है
[ऋ.१.१७४.५,४.१६.१२,३०.४] । अतिथिग्व तथा आयु के साथ इन्द्रस्तुति में इसका उल्लेख है । सूर्य के रथ का एक पहिया इन्द्र ने अलग किया । दूसरा पहिया कुत्स को दिया
[ऋ. ५.२९.१०] । इंद्र कुत्स के घर गया था
[ऋ. ५.२९.९-१०] । कुत्स तथा लुश दोनों इन्द्र को एकदम बुलाते थे । इन्द्र कुत्स के पास आया । परंतु कुत्स को शंका आने के कारण, इन्द्र को इसने सौ चर्मरज्जुओं से अंड के स्थान पर बॉंध दिया । परंतु लुश के द्वारा बुलाये जाते ही इन्द्र इन रज्जुओं को तोड कर निकल आया । तब कुत्स ने एक नाम कहकर पुनः इन्द्र को वापस बुलाया
[ऋ. १०.३८.५] ;
[पं. ब्रा. ९.२.२२] ;
[जै. ब्र. २२८] । यह कथा निश्चित रुप से नहीं समझती । इन्द्र का तथा इसका बैर होगा (कुत्स औरव देखिये) । यह इन्द्र का हमेशा का शत्रु न था
[ऋ.१.५१.६,६.२६.३] । पराक्रम दिखाने के लिये इन्द्र को कुत्स तथा रथ के पहिये की जरुरत रहती थी
[ऋ.१.१७४.५] ।
कुत्स (औरव) n. एक राजा । उपगु सौश्रवस इसका पुरोहित था । इस ने जाहिर किया था कि भी कोई इन्द्र को हवि देगा, उसका मस्तक मैं काट दूँगा । इन्द्र नें गर्व के साथ इससे कहा, ‘सुश्रवा ने मुझे हवि दिया है’ इस ने तत्काल क्रोधित हो कर, सामगान करतें हुए उपगु सौश्रवस का शिर काट दिया । सुश्रवा ने इन्द्र से शिकायत की । इन्द्र ने उसका शिर फिर से जोड दिया ।
[पं.ब्रा.१४.६.८] ; कुत्स १. देखिये
कुत्स II. n. (स्वा. उत्तान.) चक्षुर्मनु तथा नडवला के ग्यारह पुत्रों में से दूसरा
[भा.४.१३] ।
कुत्स III. n. भृगुकुल का गोत्रकार ।
कुत्स IV. n. दाशरथि राम की सभा का एक ऋषी
[वा.रा.उ. २ प्रक्षिप्त] कुत्स V. n. अंगिराकुल का गोत्रकार तथा मंत्रद्रष्टा
[ऋ.१. ९४-९८,१०१.११५,९.९७.४५-५८] ।