शतधन्वन् n. (सो. क्रोष्टु.) मिथिला देश का एक दुष्टप्रकृति भोजवंशीय यादव राजा, जो हृदीक राजा का पुत्र, एवं कृतवर्मन् राजा का भाई था । भागवत एवं विष्णु में उसे शतधनु कहा गया है । कलिंग देश के राजा चित्रांगद की कन्या के स्वयंवर में यह उपस्थित था
[म. शां. ४.७] । अक्रूर एवं कृतवर्मन् के कथनानुसार, इसने यादवराजा सत्राजित् का वध किया, एवं उसका स्यमंतक मणि ले कर यह भाग गया
[भा. १०.५७.५-२०] । पश्चात् कृष्ण ने इस पर आक्रमण किया, एवं यह विज्ञातहृदया नामक घोड़ी पर सवार होकर भागने लगा। मिथिला नगरी के समीप श्रीकृष्ण ने इसे पकड़ कर इसका शिरच्छेद किया
[ह. वं. १.३९.१९] । किंतु स्यमंतक मणि अक्रूर के पास रखने के कारण, श्रीकृष्ण को वह प्राप्त न हो सका
[भा. १०.५८.९] ; अक्रूर एवं सत्राजित् देखिये ।
शतधन्वन् II. n. मौर्यवंशीय शतधनु राजा का नामान्तर।
शतधन्वन् III. n. एक विष्णुभक्त राजा, जिसके पत्नी का नाम शैब्या था । एक पाखंडी व्यक्ति से मिलने के कारण, इसे एवं इसकी पत्नी को अनेकानेक कष्ट सहने पड़े
[विष्णु. ३.१८.५३-९५] ।
शतधन्वन् IV. n. हंसध्वज राजा का प्रधान, जिसकी माता का नाम सुमति था ।