तुंबरु n. एक गंधर्व । कश्यप तथा प्राधा के पुत्रों में से एक । यह चैत्र माह के धाता नामक सूर्य के साथ रहता था
[भा.१२.११.३३] । इसकी भार्या का नाम रंभा था
[म.उ.११५.४०० पंक्ति.४] । ब्रह्मजी की सभा में, यह नारद के साथ गायन कर, भगवत् का गुण गाता था
[भा.५.२५.८] । श्रीकृष्ण के इंद्र और कामधेनु कृत अभिषेक के समय, यह कृष्ण के पास आया था
[भा.१०.२७. २४] । यह अनुयादव का मित्र था
[भा.९.२४.२०] । गोग्रहण के समय अर्जुन का युद्ध देखने के लिये यह स्वयं आया था
[म.वि.५६.१२] युधिष्ठिर के अश्वमेघ में भी यह उपस्थित था
[म.आश्व.८८.३९] । यह रंभा पर आसक्त होने के कारण, कुबरे ने शाप दे कर इसे विराध नामक राक्षस बनाया । वाद में रामलक्ष्मण से हुए युद्ध में मृत हो कर इसने अपना मूल रुप प्राप्त किया
[वा.रा.अर.५] ; विराध देखिये ।
तुंबरु II. n. एक गंधर्व । यह सुबाहु तथा मुनिकन्या का पुत्र था । इसे मनुवंशी एवं सुकेशी नामक दो कन्यायें थी
[ब्रह्मांड३.७.१३] ।
तुंबरु III. n. एक राक्षस । हिरण्याक्ष से हुए देवों के युद्ध में, वायु ने इसका वध किया
[पद्म. सृ. ७५] ।