तृणबिंदु n. (सू. दिष्ट.) भागवत एवं वायु के मतानुसार बंधु राजा का पुत्र । इसे विशाल, शून्यबंधु, धूम्रकेतु एवं इडविडा नामक चार संताने थीं । विष्णु एवं रामायण के मतानुसार बुध राजा का यह पुत्र था । इसकी स्त्री अलंबुषा । इसे विशाल एवं इलविला नामक दो संतानें थीं । इलविला पुलस्त्य को दी गयी थी । यह त्रेतायुग के तीसरे पाद में राज्य करता था
[ब्रह्मांड. ३.८.३६-६०] ;
[वायु. ७०.३१,२४.१५] । इसके पुत्र विशाल से वैशाली राजवंश का आरंभ हुआ ।
तृणबिंदु II. n. वैवस्वत मन्वंतर के तेईसवॉं तथा चौबीसवॉं व्यास (व्यास देखिये) ।
तृणबिंदु III. n. एक ऋषि । यह पांडवों के साथ काम्यकवन में रहता था
[म.व.२६४] । यह अत्यंत धर्मशील तथा संयमी था । प्रत्येक माह, घांस के एक तृण को पानी में डुबा,कर, उसके साथ जितने जलबिंदु बाहर आते थे, उतने ही पी कर यह रहता था । इसके इस नियम के कारण, इसका नाम तृणबिंदु हुआ
[स्कंद. ७.१.१३८] ।
तृणबिंदु IV. n. वेन देखिये ।