पुरंजय n. (सू.इ.) एक इक्ष्वाकुबंशीय राजा । इसे ‘इंद्रवाह’ एवं ‘ककुस्थ’ नामांतर भी प्राप्त थे ।
पुरंजय II. n. (सो. अनु.) एक अनुवंशीय राजा । विष्णु, मत्स्य, एवं वायु के अनुसार, यह सृंजय राजा का पुत्र था । मत्स्य के अनुसार, इसे ‘वीर’ नामांतर भी प्राप्त था ।
पुरंजय III. n. (सो. पूरु. भविष्य.) एक पूरुवंशीय राजा । मत्स्य के अनुसार, यह ‘मेधावि’ राजा का पुत्र था।
पुरंजय IV. n. एक नागवंशीय राजा । विष्णु के अनुसार, यह किलकिला का, एवं ब्रह्मांड के अनुसार यह मथुरा का राजा था । इसके पिता का नाम विंध्यशक्ति था ।
पुरंजय V. n. (सो. मगध. भविष्य.) मगध देश का एक राजा । भागवत के अनुसार, यह जरासंध के वंश का अंतिम राजा था । इसके प्रधान का नाम शुनक था, जिसने इसका वध कर ‘प्रद्योत’ नामक स्वतंत्र राजवंश की नींव डाली
[भा.१२.१.२] । विष्णु में इसका नाम ‘रिपुंजय’ दिया गया है (४.रिपुंज्य देखिये) ।
पुरंजय VI. n. (भविष्य) मागधवंशीय विश्वस्फूर्ति राजा का नामांतर । पापबुद्धि होकर भी यह अति पराक्रमी था । इसकी राजजधानी पद्मावती नगरी थी । गंगाद्वार से प्रयाग तक का सारा प्रदेश इसके राज्य में शामिल था । इसने ‘वर्णाश्रम व्यवस्था’ को नष्ट कर, पुलिंद, यदु तथा मुद्रक नामक नये वर्ण स्थापित किये
[भा.१२.१३६-४०] । पुराणों में दी गयी वंशावली में इसका नाम अप्राप्त है ।