पुष्कल n. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो दशरथपुत्र भरत के दो पुत्रों में से कनिष्ठ था । इसकी माता का नाम मांडवी था
[वायु.८८] ;
[ब्रह्मांड.३.६३.१९०] ;
[विष्णु.४.४७] ;
[अग्नि११.७-८,९,११-१२] । पद्म पुराण के पातालखंड में, राम दाशरथि के अश्वमेध यज्ञ का विस्तृत वर्णन प्राप्त हैं, जिससे इसकी शूरता की प्रचीति मिलती है
[पद्म. पा.१-६८] । राम दाशरथि ने कुल तीन अश्वमेध यज्ञ किये । उन तीनों यज्ञ के समय, अश्व की रक्षा करने का काम शत्रुघ्न के साथ पुष्कल ने ही निभाया था
[पद्म.पा.१.११०] इस कार्य में अनेक राक्षस एवं वीरों से इसे सामना करना पडा । सुबाहुपुत्र दमन को इसने परास्त किया
[पद्म.पा.२६] । चित्रांग के साथ हुए युद्ध में, लिसने उसका वध किया
[पद्म. पा.२७] । विद्युन्माली एवं उग्रदंष्ट्र राक्षसों से इसका भीषण युद्ध हुआ
[पद्म.पा.३४] । रुक्मांगद एवं वीरमणि से भी इसका युद्ध हुआ था
[पद्म.पा४१-४६] । अंत में लव ने राम का अश्वमेधीय अश्व रोक करा इसे पराजित किया
[पद्म. पा.६१] । वाल्मिकी रामायण के अनुसार, पुष्कल ने गांधार देश जीत कर, उस देश में पुष्कलावती अथवा पुष्कलावत नामक नगरी की स्थापना की, एवं उसे अपनी राजधानी बनायी
[वा.रा.उ.१०१.११] । पद्म के अनुसर इसकी पत्नी का नाम कांतिमती था
[पद्म.पा.६७] ।
पुष्कल II. n. (सू.इ.भविष्य.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा मत्स्य कें अनुसार, यह शुद्धोदन राजा का पुत्र था । इसे सिद्धार्थ नामान्तर प्राप्त है
[मत्स्य., २७२, १२] ; सिद्धार्थ देखिये । इसे ‘राहुल’, ‘रातुल’ एवं ‘लांगलिन्’ नामांतर भी प्राप्त थे ।