रुक्मांगद n. मद्रराज शल्य का द्वितीय पुत्र, जो अपने पिता एवं ज्येष्ट बंधु रुक्मरथ के साथ द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था
[म. आ. १७७.१३] । भारतीययुद्ध में यह सहदेव के द्वारा मारा गया (रुक्मरथ २. देखिये) ।
रुक्मांगद II. n. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो ऋतुध्वज राजा का पुत्र था
[नारद. २.१२.२०] । इसकी पत्नी का नाम विंध्यावली, एवं पुत्र का नाम धर्मांगद था । रुक्मांगद राजा की एकादशीव्रत पर विशेष श्रद्धा थी । ब्रह्मा के मन में इसे उस व्रत से भ्रष्ट करने की इच्छा उत्पन्न हुई, जिस काम के लिए उसने मोहिनी नामक अप्सरा की नियुक्ति की । एक बार यह मंदार पर्वत पर शिकार करने गया था, जहाँ मोहिनी भी उपस्थित हुई । मोहिनी ने अपने नृत्यगायन से इसका मन आकर्षित किया, एवं इसने उससे विवाह की माँग की । एक बार मोहिनी ने इसे अपने प्रेम की आन दे कर, एकादशीव्रत से इसे परावृत्त करने का प्रयन्त किया । किन्तु इसने मोहिनी की माँग अमान्य कर दी । फिर उसने इसे अपने पुत्र धर्मांगद का सिर तलवार से काटने को कहा । मोहिई की इस माँग को यह पूरी करनेवाला ही था कि, इतने में श्रीविष्णु ने साक्षात प्रकट हो कर, इस कृत्य से इसे परावृत्त किया, एवं प्रसन्न हो कर इसे अनेकानेक वर प्रदान कियें
[नारद. २.३६] ।
रुक्मांगद III. n. वीरमणि राजा का पुत्र, जिसने राम का अश्वमेधीय अश्व पकड लिया था । तत्पश्चात हुए युद्ध में शत्रुघ्नपुत्र पुष्कल ने इसे परास्त कर आहत कर दिया
[पद्म. पा. ३९-४१] ।
रुक्मांगद IV. n. एक कुष्ठरोगी राजा, जो कौंडिन्यपूर के भीम राजा का पुत्र था । इस की माता का नाम चारुहासिनी था । श्रीगणेश के चिंतामणि - क्षेत्र में स्नान करने के कारण, यह कुष्ठ रोग से मुक्त हुआ
[गणेश १.२७-३५] ।