भूरिश्रवस् n. एक कुरुवंशीय राजा, जो सोमदत्त राजा का पुत्र था
[म.आ.१७७.१४] । इसे युपकेतु एवं युपध्वज नामान्तर भी प्राप्त थे
[म.द्रो.२४.५३] ;
[स्त्री.२४.५] । इसे भूरि एवं शल नामक और दो बंधु थे । अपने पिता एवं बन्धुओं के साथ, यह द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था
[म.स.३१.८] । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी यह उपस्थित था । भारतीय युद्ध में यह कौरवपक्ष में शामिल था । अपनी एक अक्षौहिणी सेना के सहित, यह दुर्योधन की सहाय्यता के लिए युद्ध में प्रविष्ट हुआ
[म.उ.१९.१२] । यह रथयुद्ध में अत्यंत प्रवीण था, एवं उसकी श्रेणि’ रथयूथपयूथप’ थी
[म.उ.१६५.२९] । भारतीय युद्ध में शंख, धृष्टकेतु, भीम, शिखण्डिन् आदि के साथ इसका युद्ध हुआ था । मणिमत् नामक राजा का इसने वध किया था
[म.द्रो.२४.५१] ।
भूरिश्रवस् n. भारतीय युद्ध में यादव राजा सात्यकि के साथ इसका अत्यंत रौद्र युद्ध हुआ । कुरुवंशीय भूरिश्रवस एव यादववंशीय सात्यकि का शत्रुत्व वंशपरंपरागत था । भूरिश्रवस के पिता सोमदत्त एवं सात्यकि के पिता शिनी दोनो देवकी के स्वयंवर में उपस्थि थे, एवं उस समय से इन दो कुलों में वैर का अग्नि सुलग रह था । उस स्वयंवर में देवकी ने शिनि का वरण किया । उससे क्रुद्ध हो कर सोमदत्त ने शिनि से युद्ध प्रारंभ किया, इसमें शिनि ने सोमदत्त को जमीन पर घसीट दिया, एवं उसके केश पकड कर उसे लत्ताप्रहार किया (शिनि एवं सोमदत्त देखिये) । भूरिश्रवस् ने भी इस वैर की परंपरा अखंडित रखी थी । भारतीय युद्ध के प्रारंभ में ही इसने सात्यकि के दस पुत्रों का वध किया था
[म.भी.७०.२५] । भूरिश्रवस् एवं सात्यकि के दरम्यान हुए युद्ध में, यह सात्यकि का वध करनेवाले ही था, कि इतने में सात्यकि को बचाने के लिए अर्जुन ने पीछे से आ कर इसका दाहिना हाथ तोड दिया
[म.द्रो.११७.७२] । क्षत्रिय के लिए अशोभनीय इस कृत्य से यह अत्यधिक क्रुद्ध हुआ, एवं अपना टूटा हुआ दाहिना हाथ अर्जुन के सम्मुख फेक कर, इसने उसकी काफी निर्भर्त्सना की
[म.द्रो.११८] । पश्चात् इस कृत्य का निषेध करने के लिए इसने आमरण अनशन शुरु किया । उसी निःशस्त्र अवस्था में सात्यकि ने इसका सर काट कर इसका वध किया
[म.द्रो.११८.३५-३६] । इस क्रूरकर्म के कारण, अर्जुन एवं सात्यकि की सभी लोगों ने काफी निर्भर्त्सना की । किन्तु अर्जुन ने अपने आत्मसमर्थन करते हुए कहा, ‘संकुल युद्ध में शत्रु का पीछे से हाथ तोडने में कोई भी दोष नही है’। सात्यकि ने भी कौरवों के द्वारा निःशस्त्र अभिमन्यु का किया गया वध का दृष्टान्त दे कर, अपने कृत्य का समर्थन किया
[म.द्रो.११८.४२-४५, ४७] । मृत्यु के पश्चात् यह विश्वेदेवों में सम्मिलित हुआ (म.स्व.) ।
भूरिश्रवस् II. n. एक ऋषि, जो शुक तथा पीवरी के पुत्रों में से एक था ।
भूरिश्रवस् III. n. एक राजा, जो मेरुसावर्णि मनु के पुत्रों में एक था ।
भूरिश्रवस् IV. n. एक आचार्य, जो मध्यमाध्वर्युओं में से एक था ।