मात्स्य n. एक ऋषि, जो यज्ञ में अत्यधिक प्रवीण था
[अ.वे.१९.३९.९] । तैत्तिरीय ब्राह्मण में इसका निर्देश मत्स्य नाम से किया गया है
[तै.ब्रा.१.५.२.१] । वहॉं इसे यज्ञेषु एवं शतद्युम्न राजा का पुरोहित कहा गया है । कौनसा भी यज्ञसमारोह शुरु करना हो, तो वह सुअवसर या शुभमुहूर्त देख कर करना चाहिए, ऐसी प्रथा इसने शुरु की ।
मात्स्य II. n. सरस्वती नदी के तट पर यज्ञ करनेवाला एक ब्राह्मणसमूह, जिसका अध्वर्यु ध्वसन् द्वैतवन था
[श.ब्रा.१३.५.४.९] ; ध्वसन् द्वैतवन देखिये ।