बभ्रु n. (सो. पुरुरवस्) एक राजा, जो ययाति का पौत्र एवं द्रुह्यु का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम सेतु था । कई ग्रन्थों में इसे बभ्रुसेतु भी कहा गया है, पर वास्तविकता यह है कि, सेतु इसके भाई का नाम था । वायु में इसके पुर का नाम रिपु दिया गया है
[वायु.९९.७] ।
बभ्रु (काश्य) n. काशी का सुविख्यात राजा, जिसे श्रीकृष्ण की कृपा से राज्यश्री का लाभ हुआ था
[म.३.२८.१३] ।
बभ्रु (कौम्भ्य) n. तांडय ब्राह्मण में निर्दिष्ट एक सामद्रष्टा
[तां.ब्रा.१५.३.१३] ।
बभ्रु (दैवावृध) n. (सो. क्रोष्टु.) एक यादववंशीय राजा, जो सात्त्वतपुत्र देवावृध का पुत्र था । इसकी माता का नाम पर्णाशा था । इसके नाम के लिये ‘भानु’ पाठभेद प्राप्त है । यह राजर्षि यज्ञविद्या में बडा ही निपुण था । सहदेव सार्ञ्जय ने इसे सोम बनाने की विशेष पद्धति प्रदान की थी । ऐतरेय ब्राह्मण में इसे पर्वत एवं नारद का शिष्य कहा गया है
[ऐ.ब्रा.७.३४] । सायणाचार्य इसे दो अलग व्यक्ति मानते है । यह बडा ही दयालु एवं उपकारी राजा था । इसने लोगों को दान भी प्रचुर यात्रा में दिये थे । इसकी उदारता के कारण ही, इसे दानपति नाम प्राप्त हुआ था । इसके पुण्यकर्मो के कारण, इसके वंश का उद्धार हुआ
[भा.९.२४.१०] । इसके वंश के नृप भोज ‘मार्तिवतक’ नाम से सुविख्यात हैं
[ब्रह्म.१५.३५-४५.] । महाभारत में इसे वृष्णिवंशीय यादव, एवं यदुवंशियों के सत मंत्रिपुंगवों में से एक कहा गया है
[म.स.१३.१५९] । सुभद्राहरण के समय रैवतक पर्वत पर हुए महोत्सव में यह उपस्थित था
[म.आ.२११.१०] । एकबार श्रीकृष्ण से मिलने यह द्वारका गया था, उस समय शिशुपाल ने इसके पत्नी का हरण किया था
[म.स.४२.१०] । द्वारका में हुए ‘यादवी युद्ध’ के समय, इसने श्रीकृष्ण के पास ही बने हुए पेयपदार्थो का सेवन किया था
[म.मौ.४.१५] । द्वारका में हुए यादवी युद्ध में सारे यादव लोगों का संहार हो गया, एवं द्वारकानिवासी यादव स्त्रियों की जान खतरे में आ गयी । उस समय दस्यु आदि चोर धनादि के लोभ से आक्रमण ना करे, इसलिये यादव स्त्रियों का रक्षण करने का काम, श्रीकृष्ण नें इसे एवं दारुक को कहा था । किण्तु इसके पहले ही मौसलयुद्ध में फेंक गये एक मूसल से इसकी मृत्यु हो गयी
[म.मौ.५.५-६] ।
बभ्रु II. n. (सो. क्रोष्टु.) एक राजा, जो रोमपाद का पुत्र था । पद्म में इसे लोमपाद का पुत्र कहा गया है, और इसके पुत्र का नाम धृति बताया गया है
[पद्म. सृ.१३] । कई ग्रन्थों में इसके पुत्र का नाम कुति भी मिलता है ।
बभ्रु III. n. विश्वामित्र ऋषि के ब्रह्मज्ञानी पुत्रों में से एक
[म.अनु.४.५०] । इसके वंश के लोग भी ‘बाभ्रव्य’ नाम से ही प्रसिद्ध हुए
[ब्रह्म.१०.६१] ;
[वायु.९१.९९] ।
बभ्रु IV. n. सात्वतवंशीय अक्रूर राजा का नामांतर
[ब्रह्मांड.१.७१.८१] ;
[म.शां.८२.१७] ; अक्रूर देखिये ।
बभ्रु IX. n. एक स्मृतिकार, जो बभ्रुस्मृति का रचियता कहा जाता है (C.C) ।
बभ्रु V. n. एक आचार्य, जो भागवत के अनुसार, व्यास के अथर्थवेदशिष्य परंपरा के आंगिरस शुनक का शिष्य था । इसे आंगिरस ने अथर्वसंहिता प्रदान की थी
[भा.१२.७.३] ; व्यास देखिये ।
बभ्रु VI. n. मत्स्यनरेश विराट का एक पुत्र
[म.उ.५६.३३] ।
बभ्रु VII. n. कश्यप कुलोत्पन्न संपाति का ज्येष्ठ पुत्र । इसके भाई का नाम शीघ्रग था
[पद्म. सृ.६.६८] ।
बभ्रु VIII. n. ऋषभ पर्वत पर रहनेवाला एक गंधर्व ।