सांब n. एक सुविख्यात यादव राजकुमार, जो कृष्ण एवं जांबवती के पुत्रों में से एक था
[म. आ. १७७.१६] ;
[स. ४.२९] ;
[भा. १०.६१.११] । विष्णु में इसे कृष्ण एवं रुक्मिणी का पुत्र कहा गया है, किन्तु यह असंभव प्रतीत होता है । यह अत्यंत स्वरूपसुंदर, एवं स्वैराचरणी था ।
सांब n. उपमन्यु ऋषि के आदेशानुसार कृष्ण ने पुत्रप्राप्ति के लिए शिव की उपासना की थी, जिससे आगे चल कर इसका जन्म हुआ। इस कारण इसे ‘सांब’ नाम प्राप्त हुआ। भागवत में इसे शिवपुत्र गुह का अवतार कहा गया है
[भा. १.१०.२९] ।
सांब n. यह अत्यंत पराक्रमी था, एवं कृष्ण के द्वारा किये गये बहुत सारे युद्धों में इसने भाग लिया था । यादव सेना के साथ इसने बाणासुर की नगरी पर आक्रमण किया था, एवं बाणासुर के पुत्र के साथ युद्ध किया था
[भा. १०.६१.२६] । शाल्व के आक्रमण के समय इसने द्वारका नगरी का रक्षण किया था
[भा. १०.६८.१-१२] । इस समय शाल्व के सेनापति क्षेमधूर्ति के साथ इसका घमासान युद्ध हुआ था । कृष्ण के अश्वमेधीय अश्व के साथ भी यह उपस्थित था । द्रौपदी स्वयंवर के लिए उपस्थित राजाओं में यह भी शामिल था
[म. आ. ९७७.१६] । रैवतक पर्वक पर अर्जुन के द्वारा किये गये सुभद्राहरण के समय यह उपस्थित था
[म. आ. २११.९] ।
सांब n. दुर्योधनकन्या लक्ष्मणा के स्वयंवर के समय इसने उसका हरण किया । उस समय कौरवों ने इसे कैद किया । यह वार्ता सुनते ही बलराम समस्त यादवसेना के साथ इसकी सहायतार्थ दौड़ा। पश्चात् बलराम के युद्धसामर्थ्य से घबरा कर दुर्योधन ने इसकी लक्ष्मणा से विवाह को संमति दे दी
[भा. १०.६८] ।
सांब n. सुपुर नगरी के व्रजनाभ नामक राजा के प्रभावती नामक कन्या का इसने हरण किया । तद्हेतु यह अपने भाई प्रद्युम्न के साथ-नाटक मंडली का खेल ले कर सुपुर नगरी में गया । वहाँ इन्होंनें ‘रम्भाभिसार’ ‘कौवेर’ आदि नाट्यकृतियों का प्रयोग किया, जिनमें प्रद्युम्न के नायक का, एवं इसने विदूषक का काम किया था
[ह. वं. २.९३] । पश्चात् इसने प्रभावती का हरण किया ।
सांब n. यह शुरू से ही अत्यन्त शरारती था, एवं इसकी कोई न कोई हरकत हमेशा चलती ही रहती थी । एक बार इसके सारणादि मित्रों ने इसे स्त्री वेश में विभूषित किया, एवं इसे दुर्वासस् ऋषि के पास ले जा कर झूठी नम्रता से कहा ‘यह बभु्र यादव की पत्नी गर्भवती है । आप ही बतायें कि, इसके गर्भ से क्या उत्पन्न होगा?’। यदुपुत्रों की इन जलील हरकतों से क्रुद्ध हो कर दुर्वासस् ने कहा, - ‘श्रीकृष्ण का यह पुत्र सांब लोहे का एक भयंकर मूसल उत्पन्न करेगा, जो समस्त वृष्णि एवं अंधक वंश का संपूर्ण विनाश कर देगा।
सांब n. दूसरे दिन, सुबह होते ही इसके पेट से लोहे का मूसल उत्पन्न हुआ। यादव लोगों ने इस मूसल का नाश करने का काफ़ी प्रयत्न किया, किन्तु उससे कुछ फायदा न हो कर, इसी मूसल से इसका एवं समस्त यादवों का नाश हुआ। प्रभास क्षेत्र में मैरेयक नामक मद्य पीने के कारण इसकी स्मृति नष्ट हुई, एवं उसी क्षेत्र में हुए मौसल युद्ध में अपने भाई प्रद्युम्न से लड़ते लड़ते इसकी मृत्यु हुई
[भा. ११.३०.१६] ।
सांब n. अत्यंत स्वरूपसंपन्न होने के कारण यह अत्यंत स्वैराचारी था, यहाँ तक कि, कृष्ण की कई पत्नियाँ एवं इसकी सापत्न माताएँ इस पर अनुरक्त थीं। अपने पुत्र एवं पत्नियो के दुराचरण की यह बात कृष्ण को नारद के द्वारा ज्ञात हुई। इस कारण क्रुद्ध हो कर, उसने इसे कुष्ठरोगी होने का, एवं अपनी पत्नियों को चोर, लुटेरों केद्वारा भगाये जाने का शाप प्रदान किया । तदनुसार, यह कुष्ठरोगी बन गया, एवं द्वारका नगरी डूब जाने के पश्चात् कृष्णस्त्रियों का आभीरों के द्वारा अपहरण किया गया । तत्पश्चात् कुष्ठरोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए, नारद के सलाह के अनुसार इसने सूर्योपासना प्रारंभ की, एवं इस प्रकार यह कृष्ठरोग से मुक्त हुआ। इसके सूर्यतपस्या का स्थान चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित सांबपुर (मूलस्थान) था, जिस नगरी की स्थापना इसने ही की थी । सूर्य की उपासना करने के लिए इसने मग नामक ब्राह्मण शाकद्वीप से बुलवाया
[सांब. ३] ;
[भवि. ब्राह्म. ६६.७२-७३, ७५, १२७] ;
[स्कंद. ४.१.४८,६.२१३] ; मग देखिये । इसकी मृत्यु के पश्चात् मग ब्राह्मण मूलस्थान में ही निवास करने लगे । मूलस्थान का यह प्राचीन सूर्य मंदिर, एवं वहाँ स्थित मग ब्राह्मण भारत में आज भी ख्यातनाम है ।
सांब II. n. एक अंत्यज, जिसकी कथा गणेश-उपासना का माहात्म्य बताने के लिए गणेश पुराण में दी गयी है
[गणेश. १.५९] ।
सांब III. n. चक्रपाणि राजा का प्रधान, जिसकी कथा गणेश उपासना का माहात्म्य बताने के लिए गणेश पुराण में दी गयी है
[गणेश. २.७३.१३] ।
सांब IV. n. एक सदाचारी ब्राह्मण, जिसने धृतराष्ट्र के वनगमन के समय प्रजा की ओर से उसे सांत्वना प्रदान की थी
[म. आश्र. १५.११] ।