सात्वत n. विष्णु का एक पार्षद।
सात्वत II. n. (सो. क्रोष्टु.) यादवकुलोत्पन्न एक राजा, जो भागवत के अनुसार आयु राजा का, वायु के अनुसार सत्व राजा का, मत्स्य के अनुसार जन्तु राजा का, एवं विष्णु के अनुसार अंश राजा का पुत्र था । यह स्वयं एक ‘वंशकर’ राजा था, जो सात्वत राजवंश का मूल पुरुष माना जाता है । सुविख्यात यादव योद्धा ‘सत्यकि’ इसके ही वंश में उत्पन्न हुआ था । पुराणों में इसके नाम के लिए ‘सात्वत’
[भा. ९.२४.६] एवं ‘सत्वत’
[विष्णु. ४.१३.१] ;
[ह. वं. १.३७.१] ये दोनों पाठ प्राप्त है । इसके निम्नलिखित सात पुत्र थेः-- १. भजमान; २. भाजि; ३. दिव्य; ४. वृष्णि; ५. देवावृध; ६. अंधक; ७. महाभोज। इन पुत्रों में से भजमान इसके पश्चात् राजगद्दी पर बैठा।
सात्वत II. n. इस धर्मपरंपरा का यह प्रमुख संवर्धक माना जाता है । महाभारत में सात्वत - धर्म एवं उसकी परंपरा सविस्तृत रूप में प्राप्त है, जहाँ ब्रह्मा से ले कर इक्ष्वाकु तक के इस पंथ के प्रमुख संवर्धको की जानकारी दी गयी है । हरिगीता नामक ग्रंथ में सात्वत धर्मतत्त्वों की जानकारी दी गयी है
[म. शां. ३३६.३१-४९] ।
सात्वत III. n. भगवान कृष्ण का एक नामांतर
[म. शां. ३४२.७७] । इसके ही नाम से कृष्ण का एक उपासना सांप्रदाय सात्वतधर्म नाम से सुविख्यात हुआ था (सात्वत २. देखिये) ।