ठाकुर प्रसाद - प्रथम स्कन्ध सूची
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
१. मङगलाचरण का महत्त्व
२. परमात्मा का ध्यान और चिंतन
३. परमात्मा का सत्य स्वरूप
४. भागवत का फल निष्काम भक्ति
५. श्री सूतजी से शौनकादि ऋषियों का प्रश्न
६. भगवत्कथा और भगवद्भक्तिका माहात्म्य
७. भगवान् के अवतारों का वर्णन
८. महर्षि व्यास का असन्तोष
९. भगवान् के यश - कीर्तन की महिमा और देवर्षि नारद का पूर्व चरित्र
१०. नारदजी के पूर्व चरित्र का शेष भाग
११. श्रीमद्भागवत के अधिकारी - खासकर संसारी
१२. वृथा गतं तस्य नरस्य जीवनम्
१३. भागवत के दो श्लोंकों के श्रवण से शुकदेवजी का चित्ताकर्षण
१४. अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी के पुत्रों का मारा जाना और अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा का मान - मर्दन
१५. गर्भ में परीक्षित की रक्षा, कुन्नी के द्वारा भगवान् की स्तुति और युधिष्ठिरका शोक
१६. कुन्ती द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति
१७. युधिष्ठिरादि का भीष्मजी के पास जाना और भगवान् श्रीकृष्ण की स्तुति करते हुए भीष्मजी का प्रण त्यागना
१८. सूर्यनारायण की उपासना का महत्त्व
१९. श्रीकृष्ण का द्वारका गमन
२०. द्वारका में श्रीकृष्ण का स्वागत
२१. परीक्षित का जन्म
२२. विदुरजी के उपदेश - धृतराष्ट्र और गान्धारी का वन में जाना
२३. अपशकुन देखकर महाराज युधिष्ठिर का कलियुग - आगमन के सम्बन्ध में शंका करना और अर्जुन का द्वारका से लौटना
२४. अर्जुन द्वारा कृष्ण - कृपा का स्मरण
२५. कृष्ण - विरह - व्यथित पाण्डवों का परीक्षित को राज्य देकर स्वर्गारोहण के लिए सिधारना
२६. परीक्षित की दिग्विजय तथा धर्मं और पृथ्वी का संवाद
२७. महाराज परीक्षित द्वारा कलियुग का दमन
२८. राजा परीक्षित् को श्रृंगी ऋषि का शाप
२९. परीक्षित का अनशन व्रत और श्री शुकदेवजी का आगमन
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Last Updated : November 11, 2016
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