ठाकुर प्रसाद - अष्टम स्कन्ध सूची

ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.


१. सदभावना, मिश्रवासना और असदवासना
२. मन्वंतरों का वर्णन
३. ग्राह के द्वारा गजेन्द्र का पकडा जाना
४. गजेन्द्र के द्वारा भगवान् की स्तुति और उसका संकट से छूटना
५.  गज और ग्राह का पूर्वचरित्र तथा उनका उद्धार
६. समुद्र - मन्थन की कथा
७. लक्ष्मीजी का प्राकटय
८. अमृत का प्रकट होना और मोहिनी अवतार
९. अमृत - वितरण एवं देव - दाना - युद्ध
१०. मोहिनी रूप देखकरा महादेवजी का मोहित होना
११. सप्तम मन्वन्तर के वामन भगवान् की कथा का प्रारम्भ एवं राजा बै की स्वर्ग पर विजय
१२. कश्यपजी के द्वारा अदिति को पयोव्रत का उपदेश
१३. भगवान् का प्रकट होकर अदिति को वर देना
१४. यज्ञोपवीत का महत्त्व
१५. वामन भगवान् द्वारा बलि से भिक्षा में तीन पग पृथ्वी मांमना
१६. राज अबलि को शुक्राचार्य की शिक्षा
१७. भगवान् वामन द्वारा विराटरूप होकर दो ही पग से स्वर्ग और पृथ्वी को नाप लेना
१८. बलि का आत्मसमर्पण और भगवान् का उस पर प्रसन्न होना
१९. भगवान् के मत्स्यावतार की कथा

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Last Updated : November 11, 2016

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