मत्स्येन्द्रनाथजी का पद
सिद्धसिद्धान्तपद्धतिः हा ग्रंथ गोरक्षनाथांनी हठ योगावर लिहीला आहे.
The Siddha Siddhanta Paddhati is a very early extant Hatha Yoga Sanskrit text attributed to Gorakshanath.
[ राग कालिङ्गडा ]
भूखड ली लागी थारा नांवनी । म्हानै भावै भावै भगवत जीरो नांव म्हारा वाल्हारे ॥टेक॥
जाण जैसी रंग भेंटिये कांई भजन भलो भगवंत म्हारा वाल्हारे ॥१॥
सबही तीरथ मै बसै तो कांई मंजन करै जन कोइ म्हारा वाल्हारे ॥२॥
निरमल थाते न्हाई चल्या काईं एडो पटंतर जोई म्हारा वाल्हारे ॥३॥
काया तीरथ में ज्ञान बडो कांई साधन दरसण होई म्हारा वाल्हारे ॥४॥
भणै रे मच्छै ई एह ङो पटतर कांई भगवत सवा न कोई म्हारा वाल्हारे ॥५॥
[ राग घनाक्षरी ]
पंषेरू ऊडिसी । आय लीयौ बीसराम । ज्यौ ज्यौ नरस्वारथ करै कोई न सवायौ काम । टेक । जलकूं चाहै माछली घण कूं चाहै मोर सेवग चाहै राम कूं ज्यौं चितवत चन्द चकोर ॥१॥
यो स्वारथको जीवडो स्वारथ छोडि न जाय जब गोविन्द किरपा करी म्हारौ मनवौ समझ्यौ आय ॥२॥
जोगी सोई जाणी रे जगते रहे उदास ततनिरंजण पाइय यो कहै मछन्दर नाथ ॥३॥
॥ इति ॥
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Last Updated : November 25, 2016
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