संध्या कालकी व्याख्या
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
संध्या कालकी व्याख्या
सूर्य और तारोंसे रहित दिन-रातकी संधिको तत्वदर्शी मुनियोंने संध्याकाल माना है-
अहोरात्रस्य या संधिः: सूर्यनक्षत्रवर्जिता।
सा तु संध्या समाख्याता मुनिभिस्तत्त्वदर्शिभि:॥
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Last Updated : November 26, 2018
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