अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


अघमर्षण और आचमनके विनियोग और मन्त्र- नीचे लिखा विनियोग पढकर दाहिने हाथमें जल लेकर उसे नाकसे लगाकर मन्त्र पढे और ध्यान करे कि समस्त पाप दाहिने नाकसे निकलकर हाथके जलमें आ गये है। फ़िर उस जलको बिना देखे बायी और फ़ेक दे।
अघमर्षणसूक्तस्याघमर्षण ऋषिरनुष्टुप छन्दो भाववृत्तो देवता अघमर्षणे विनियोग:।
मन्त्र-
ॐ ऋतश्च सत्यं चाभीध्दात्तपसोऽध्यजायत। ततो अत्र्यजायत। तत: समुद्रो अर्णव:। समुद्रादर्णवादधि संवत्सरो अजायत।
अहोरात्राणि विद्‍धव्दिश्वस्य मिषतो वशी। सूर्याचन्द्रमसौ धाता मथापूर्वमकल्पयत्। दिवं च पृथिवीं चान्तरिक्षमथो स्व:॥

पुन: निम्नलिखित विनियोग करे-

अन्तश्चरसीति तिरश्चीन ऋषिरनुष्टुप् छन्दं: आपो देवता मपामुपस्पर्शने विनियोग:।

फ़िर इस मन्त्रसे आचमन करे-
ॐ अन्तश्चरसि भूतेषु गुहायां विश्वतोमुख:।
त्वं यज्ञस्त्वं वषट्‍कार आपो ज्योती रसोऽमृत्तम॥

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Last Updated : November 26, 2018

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