सूर्यके बारह नमस्कार
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
सूर्यके बारह नमस्कार
सूर्यकी पूजा एवं वन्दना भी नित्यकर्ममें आती है । शास्त्रमें इसका बहुत महत्व बतलाया गया है । दूध देनेवाली एक लाख गायोंके दानका जो फ़ल होता है, उससे भी बढकर फ़ल एक दिनकी सूर्यपूजासे होता है । पूजाकी तरह सूर्यके नमस्कारोंका भी महत्व है । सूर्यके बारह नामोंके द्वारा होनेवाले बारह नमस्कारोंकी विधी यहाँ दी जाती है । प्रणामोंमें साष्टांग प्रणामका अधिक महत्व माना गया है । यह अधिक उपयोगी है । इससे शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है । भगवान् सूर्यके एक नामका उच्चारण कर दण्डवत् करे । फ़िर उठकर दुसरा नाम बोलकर दुसरा दण्डवत् करे । इस तरह बारह साष्टान्ड प्रणाम हो जाते है । शीघ्रता न करे, भक्ति-भावसे करे ।
एतदर्थ प्रथम सूर्यमण्डलमें सौन्दर्यराशी भगवान् नारायणका ध्यान करना चाहिये । भावनासें दोनों हाथ भगवान के सुकोमल चरणोंका स्पर्श करते हो, ललाट भी उसी सुखस्पर्शमें केन्द्रित हो और आँखे उनके सौन्दर्य पानमें मत्त हो।
संकल्प-ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य......अहं श्रीपरमात्मप्रीत्यर्थमादित्यस्य व्दादशनमस्काराख्यं कर्म करिष्ये।
संकल्पके बाद अञ्जलिमें या ताम्रपात्रमें लाल चन्दन, अक्षता, फ़ुल डालकर हाथोंको ह्र्दयके पास लाकर निम्नलिखित मन्त्रसे सूर्यको अर्घ्य दे -
एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते !
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्य दिवाकर !
अब सूर्यमण्डलमें स्थित भगवान् नारायणका ध्यान करे -
ध्येय: सदा सवितृमण्डलमध्यवर्ती
नारायण: सरसिजासनसंनिविष्ट: ।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी
हारी हिरण्मयवपुर्धृतशड्खचक्र: ॥
अब उपर्युक्त विधीसे ध्यान करते हुए निम्नलिखित नाम-मन्त्रोंसे भगवान सूर्यको साष्टान्ग प्रणाम करे -
१. ॐ मित्राय नम: ।
२. ॐ रवये नम: ।
३. ॐ सूर्याय नम: ।
४. ॐ भानवे नम: ।
५. ॐ खगाय नम: ।
६. ॐ पूष्णे नम: ।
७. ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।
८.ॐ मरीचये नम: ।
९. ॐ आदित्याय नम: ।
१०. ॐ सवित्रे नम: ।
११. ॐ अर्काय नम: ।
१२. ॐ भास्कराय नमो नम: ।
इसके बाद सूर्यके सारथि अरुणको अरुणको अर्घ्य दे -
विनतातनयो देव: कर्मसाक्षी सूरेश्वर: ।
सप्ताश्व: सप्तरज्जुश्च अरुणो मे प्रसीदतु ॥
ॐ कर्मसाक्षिणे अरुणाय नम: ।
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने ।
जन्मान्तरसहस्त्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ॥
इसके बाद सूर्यार्घ्यका जल मस्तक और आँखोंमे लगाये तथा कुछ चरणामृत निम्नलिखित मन्त्रसे पी ले -
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
सूर्यपादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ॥
ॐ तत्सत् कृतमिदं कर्म ब्रह्मार्पणमस्तु । विष्णवे नम: , विष्णवे नम: विष्णवे नम: ।
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Last Updated : December 02, 2018
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