कुण्डचतुर्थी
( देवीभागवत ) - माघ शुक्ल चतुर्थीको उपवास करके देवीका पूजन करे । अनेक प्रकारके गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, फल, पत्र, धान्य, बीज और सब प्रकारकी नैवेद्य - सामग्री अर्पण करे तथा शूर्प या मिट्टीके पात्रमें उक्त नैवेद्य - सामग्री भरकर ब्राह्मणको दे तो संतति और सौभाग्य दोनों प्राप्त होते हैं ।