गणेशव्रत
( भविष्यपुराण ) - माघ शुक्ल पूर्वविद्धा चतुर्थीको प्रातःस्त्रानादि करनेके पश्चात्
' ममाखिलाभिलषितकार्यसिद्धिकामनया गणेशव्रतं करिष्ये '
इस मन्त्नसे संकल्प करके वेदीपर लाल वस्त्र बिछाये । लाल अक्षतोंका अष्टदल बनाकर उसपर सिन्दूरचर्चित गणेशजीको स्थापित करे । स्वयं लाल धोती पहनकर लाल वर्णके फल - पुष्पादिसे षोडशोपचार पूजन करे । नैवेद्यमें ( भिगोकर छीली हुई ) हल्दी, गुड़, शक्कर और घी - इनको मिलाकर भोग लगाये और नक्तव्रत ( रात्रिमें एक बार भोजन करे तो सम्पूर्ण अभीष्ट सिद्ध होते हैं ।