तेजःसंक्रान्तिव्रत
( मत्स्यपुराण ) - संक्रान्तिके पुण्य - कालमे सुपूजित कलशको चावलोंसे भरकर उसपर घीका दीपक रखे और उसके समीपमें मोदक रखकर,
' ममाखिलदोषप्रशमनपूर्वकतेजः प्राप्तिकामनयेदं पूर्णपात्रं गन्धपुष्पाद्यर्चितं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दातुमहमुत्सृजे ।'
से जल छोड़कर सम्पूर्ण सामग्री ब्राह्मणको दे तो इससे तेज बढ़ता है ।