गोपद्मव्रत
( भविष्यपुराण ) - आषाढ़ शुक्ल एकादशीको प्रातःस्त्रानादिके पश्चात् गौके निवासस्थानको गोबरसे लीपकर उसमें ३३ पद्म ( कमल ) स्थापन करके उनका गन्ध - पुष्पादिके पूजन करे और ३३ अपूप ( पूए ) भोग लगाकर उतने ही अर्घ्य, प्रदक्षिणा और प्रणाम अर्पण कर व्रत करे । इस प्रकार कार्तिक शुक्ल एकादशीपर्यन्त प्रतिदिन करनेके पश्चात् द्वादशीको पहले वर्षमें पूए, दूसरेमें खीर और पूए, तीसरेमें मँडके, चौथेमें गुड़ और मँडके और पाँचवेंमें घृतपाचित ( घीमें पकाये हुए ) मण्डकोंसे पारण करके उद्यापन करे तो जीवनपर्यन्त सुख - सम्पत्तिसे युक्त रहता है और परमलोकमें स्वर्गीय सुख प्राप्त होते हैं ।