जोरु कसमका कज्या मुनो हाजा लढते फिरतेते ॥ बडा हजांबा खडा एकपर एक धबाधब गिरथेते ॥ध्रु०॥
खानोपिनेके तंगशाई येतोनाका दिननिकला ॥ माबापनो भलान किया मजपर रुटा हागतारा ।
साराघर दिनभुला खडू किबन हिकरता मुकाला । मयचरखेकेकमाई काहा लाग तुझे खिलाऊ नगदुल्ला ॥
पुढायतानें धरलिया सोसो येरझार करतिथे ॥बडा० ॥१॥
तुक्या कमाती फत्तर चुडयेल क्यो करती हाय हाय ॥ ऐसे लगकार जुया मारु एक बाल नहिरहने पाया ।
क्यापशम चरखेके कमाई हाम शिपाई हारगिसना खाया । दररकिब मारे तलबारा लोहखना खन तुटता जाय ॥
ये दुःख काल ककालेमे तेरे माबाप जगावे मरयेते ॥बडा० ॥२॥
सच कहुप्यारे सचकहु तुझे खुदाकी सौंगन कहा नौकरी रोताया ऐसा उलटा समया आया तिन दीन भुका मरथाता ।
तुझे तो रोटिका सपना औरतकुक्या खिलताया । मुये तुझेमे चाटु का हांडया धुके पिताया ।
तेरे सरीखे मेरे बापकु घरमे पानी भरतेथे ॥बडा० ॥३॥
रांडभांड बिछडीतो प्यारे फिर अबरु रहती कैसी । मरद आदमी झुटा होयतो नेक पतिव्रता जैसी ।
अनंतफंदीके छंद जैसे तलावमे कमल तिरथेते ॥४॥