अब हम खूब वतन घर पाया ।
ऊँचा खेड़ा सदा मेरे भाया ॥टेक॥
बेगमपूर सहरका नाम ।
फिकर अँदेश नहीं तेहि ग्राम ॥१॥
नहिं जहाँ साँसत लानत मार ।
हैफन खता न तरस जवाल ॥२॥
आव न जान रहम औजूद ।
जहाँ गनी आप बसै मादूद ॥३॥
जोई सैलि करै सोई भावै ।
मरहम महलमें को अटकावै ॥४॥
कह रैदास खलास चमारा ।
जो उस सहर सो मीत हमारा ॥५॥