अब कैसे छुटै नाम रट लागी ॥टेक॥
प्रभुजी, तुम चन्दन, हम पानी
जाकी अँग अँग बास समानी ॥१॥
प्रभुजी, तुम घन बन, हम मोरा ।
जैसे चितवत चंद चकोरा ॥२॥
प्रभुजी, तुम दीपक, हम बाती ।
जाकी जोति बरै दिन राती ॥३॥
प्रभुजी, तुम मोती, हम धागा ।
जैसे सोनहि मिलत सुहागा ॥४॥
प्रभुजी, तुम स्वामी, हम दासा ।
ऐसी भगति करै रैदासा ॥५॥