भजन - अब कैसे छुटै नाम रट लागी ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


अब कैसे छुटै नाम रट लागी ॥टेक॥

प्रभुजी, तुम चन्दन, हम पानी

जाकी अँग अँग बास समानी ॥१॥

प्रभुजी, तुम घन बन, हम मोरा ।

जैसे चितवत चंद चकोरा ॥२॥

प्रभुजी, तुम दीपक, हम बाती ।

जाकी जोति बरै दिन राती ॥३॥

प्रभुजी, तुम मोती, हम धागा ।

जैसे सोनहि मिलत सुहागा ॥४॥

प्रभुजी, तुम स्वामी, हम दासा ।

ऐसी भगति करै रैदासा ॥५॥

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Last Updated : December 20, 2007

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