जो तुम तोरौ राम मैं नाहिं तोरौं ।
तुमसे तोरि कवनसे जोरौं ॥टेक॥
तीरथ बरत न करौं अंदेसा ।
तुम्हरे चरन कमल क भरोसा ॥१॥
जहँ तहँ जाओं तुम्हरी पूजा ।
तुमसा देव और नहिं दूजा ॥२॥
मैं अपनो मन हरिसं जोरयों ।
हरिसों जोरि सबन सो तोरयों ॥३॥
सबही पहर तुम्हारी आसा ।
मन क्रम बचन कहै रैदासा ॥४॥