लखी जिन लालकी मुसक्यान ।
तिनहिं बिसरी बेदबिधि, जप, जोग, संयम, ध्यान ॥
नेम, ब्रत, आचार, पूजा, पाठ, गीता-ज्ञान ।
रसिक भागवत दृग दई असि, ऐंचिकै मुख म्यान ॥
परसपर दोउ चकोर दोउ चंदा ।
दोउ चातक, दोउ स्वाती, दोउ घन, दोउ दामिनी अमंदा ॥१॥
दोउ अरबिंद, दोऊ अलि लंपट, दोउ लोहा, दोउ चुंबक ।
दोउ आसिक महबूब दोउ मिलि, जुरे जुराफा अंबक ॥२॥
दोउ मेघ, दोउ मोर, दोउ मृग, दोउ राग-रस-भीने ।
दोउ मनि बिसद, दोउ बर पन्नग, दोउ बारि, दोउ मीने ॥३॥
भगवतरसिक बिहारिनि प्यारी, रसिक बिहारी प्यारे ।
दोउ मुख देखि जियत अधरामृत पियत होत नहिं न्यारे ॥४॥