हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|भगवतरसिक| नमो नमो बृंदाबनचंद । नित... भगवतरसिक लखी जिन लालकी मुसक्यान । ... बेषधारी हरिके उर सालैं । ... नमो नमो बृंदाबनचंद । नित... जय जय रसिक रवनीरवन । रुप... भजन - नमो नमो बृंदाबनचंद । नित... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhagvatarasikbhajanभगवतरसिकभजन गौरी Translation - भाषांतर नमो नमो बृंदाबनचंद । नित्य, अनन्त, अनादि, एकरस, पिय प्यारी बिहरत स्वच्छंद ॥१॥ सत्त-चित्त-आनंदरुपमय खग-मृग, द्रुम-बेली बर बृंद । भगवतरसिक निरंतर सेवत, मधुप भये पीवत मकरंद ॥२॥ N/A References : N/A Last Updated : December 22, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP