हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|रामप्रियाजी| जब किंकिनी धुनि कान परी र... रामप्रियाजी तू न तजत सब तोहि तजेंगे ।... जब किंकिनी धुनि कान परी र... जय जयति जय रघुबंशभूषण राम... जोई जल ब्यापक जहानको जननह... भजन - जब किंकिनी धुनि कान परी र... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajanrampriyajiभजनरामप्रियाजी सिखावन Translation - भाषांतर जब किंकिनी धुनि कान परी री ॥ लख ललचाय लखनसों लालन हँसि यह बात कही री । मानहु मान महान महादल कै दुंदुभिकी सान चली री ॥ बिश्वबिजय अब कीन्हें चाहत मम दृढ़ता लखि बाजि चली री । रामप्रियाके रामललाको आजु लली मन छीनि चली री ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 23, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP