जोई जल ब्यापक जहानको जननहार,
जाको ध्यान केते नग-जालसों निपटिगो ।
जोई दल्यो दानव दिखायो नरसिंहरूप,
उदित दिगंतसों दुहाई हेत हटिगो ॥
रामप्रिया सोई औध-महलको चित्र देखि,
धाय घबराय मणिखंभ सों लपटिगो ।
जू जू कहिबेको तुतराय आय दू दू कहि,
अतिहिं सकाय माय-अंकसों छपटिगो ॥