छबि आवन मोहनलालकी ।
काछिनि काछे कलित मुरलि कर पीत पिछौरी सालकी ॥
बंक तिलक केसरकौ कीनें, दुति मानों बिधु बालकी ।
बिसरत नाहि सखी, मो मनतें चितवन नयन बिसालकी ॥
नीकी हँसनि अधर सुधरनिकी, छबि छीनी सुमन गुलालकी ।
जलसों डारि दियों पुरइन पर, डोलनि मुकता-मालकी ॥
आप मोल बिन मोलनि डोलनि, बोलनि मदनगोपालकी ।
यह सुरूप निरखै सोइ जानै, या 'रहीम' के हालकी ॥